Saturday 30 June 2018

दोहे "करना मत विश्राम" ( राधा तिवारी " राधेगोपाल ")


दीर्घ आयु के वास्ते, रखना मन में चाह।
जहाँ चाह होती वहाँ, मिल जाती है राह।।

हरा पेड़ मत काटना, कुदरत का सन्देश।
पेड़ों के कारण बने, निर्मल सब परिवेश।।

गिर जाते जब धरा पर, छाया वाले पेड़।
उनको खाने एकदम, आते बकरी-भेड़।।

आ जायें जब भी कभी, मन में बुरे विचार।
तब मन्त्रों का पाठ ही, मन के हरे विकार।।

रखना है अनमोल तन, हमको अगर निरोग।
कामुकता को त्याग कर, छोड़ दीजिए भोग।।

महिलाएँ तो किचन में, करतीं दिन भर काम।
सबको भोजन खिलाकर, करतीं है आराम।।

गर्मी धूप उन्हें लगे, जो करते हैं काम।
बड़े बुजुर्गों ने कहा, करना मत विश्राम।।

Thursday 28 June 2018

बाल कविता " मेरी माँ" ( राधा तिवारी " राधेगोपाल ")



मेरी माँ

सुबह सवेरे चार बजे, 
मेरी माता जग जाती है l

दिन भर कि आपाधापी में, 
आराम कहाँ वो पाती है ll

मेरे सारे दुःख दर्द को, 
हँस कर गले लगाती है l

थकती होगी पर मेरे, 
सम्मुख वो मुस्काती है ll

गोदी में बैठा कर मुझको, 
अपना प्यार दिखाती है l

दिन भर कि आपाधापी में, 
आराम कहाँ वो पाती है ll

कभी न कहती ठीक नही हूँ, 
दुःख को सदा छिपाती है l 

मेरे दुःख को अपना कहती, 
मन ही मन हर्षाती है ll

मुझको कहती चंदा सूरज, 
नैनो में मुझे बसाती है  l

दिन भर कि आपाधापी में, 
आराम कहाँ वो पाती है ll 

Wednesday 27 June 2018

ग़ज़ल " हम लेखनी से अपनी मशहूर हो रहे हैं" ( राधा तिवारी " राधेगोपाल ")


 हम लेखनी से अपनी मशहूर हो रहे हैं
लिखने को दिल की बातें मजबूर हो रहे हैं
हम लेखनी से अपनी मशहुर हो रहे हैं

मैं तो सदा हूँ  लिखती अच्छाई और बुराई
देते हैं दोस्त सारे हमको बहुत बधाई
लिखने को मन की बातें मजबूर हो रहे हैं
हम लेखनी से अपनी मशहूर हो रहे हैं

रहते थे आज तक तो परिवार मिलके सारे
 बिखरे हुए हैं देखो अब गर्दिशों के मारे
 रिश्ते सभी जहां में बेनूर हो रहे हैं
 हम लेखनी से अपनी मशहूर हो रहे हैं

मुश्किलें अधिक बढ़ेंगी जब काम कुछ करोगे
बेनूर जिंदगी में कुछ रंग जब भरोगे
 देखो खुशी के पल अब मगरूर हो रहे हैं
हम लेखनी से अपनी मशहूर हो रहे हैं

मां-बाप संंग रहे हम बनकर नवाब हरदम
 हर पल मिले खजाने, आँखे हुई न पुरनम
अब बोझ बढ़ रहा है मजदूर हो रहे हैं
 हम लेखनी से अपनी मशहूर हो रहे हैं

राधे को जिंदगी में सब कुछ मिला है प्यारे
एक आसमान भरकर तारे गगन के सारे
 पाकर के अब कन्हैया पुरनूर हो रहे हैं
हम लेखनी से अपने मशहूर हो रहे हैं


Tuesday 26 June 2018

ओ मेरे कान्हा ( राधा तिवारी " राधेगोपाल ")


ओ  मेरे कान्हा
दूज का चांद दिख जाए मेरा, रमजान हो जाए l 
 अगर तू छत पर जाए ,पूरा अरमान हो जाए ll 

 तेरी जुल्फों के साए में, मुझे ऐसे ही रहने दे l 
 तुम्हारे साथ मुझ पर भी, खुदा मेहरबान हो जाए ll 

 तुझे दिल के झरोखे से ,सनम हर पल निहारूंगी l 
 झलक तेरी जो दिख जाए, तो न बेईमान हो जाए ll 

 जहां में लोग हैं कितने, जहां सारा ही अपना है l 
 तुम्हें जब देख लूं जानम, सफल अभियान हो जाए ll 

 तुम्हारी हूं तुम्हारी ही रहूंगी  ,  मेरे कान्हा  l  

बनु में राधिका ब्रज की, मुझे अभिमान हो जाए ll 


Monday 25 June 2018

मन मत करो उदास ( राधा तिवारी " राधेगोपाल ")


 मन मत करो उदास


स्वारथ के संसार में, मन मत करो उदास।
सीधे-सादों का यहाँ, करते सब उपहास।।

जग की सुनकर बात को, होना नहीं निराश ।
योग-साधना जगत में, पूरी करती आस।।

 जिनके मन में चाह हो, बुझती उनकी प्यास।
 लेकिन हरदम कीजिए, साथी का विश्वास।।

गागर में सागर भरे, दोहा सुन्दर भाव।
छोटे-छोटे शब्द ही ,करते दिल पर घाव।।

 कथनी-करनी को सदा, रखना एक समान।
इन दोनों में भिन्नता, लाती है व्यवधान।।

 राधा मीठे बोल से, करते हैं सब प्यार।
कड़वी वाणी से सदा, घट जाता आधार।।

Sunday 24 June 2018

उपहार ( राधा तिवारी " राधेगोपाल ")




उपहार

 दान करो आनंद से ,पाओ जग में मान।
 देने में उपहार को ,मत करना अभिमान।।

 खोज रहा क्यों व्यर्थ ही ,पत्थर में भगवान।
कंचन काया ही तेरी ,मूल्यवान इंसान ।।

जग में होता है नहीं ,माया का कुछ अंत
माया में उलझे फिरे, योगी भोगी संत 

कुदरत से करना नहीं, छेड़छाड़ इंसान।
सीधी चलना राह को ,करना काम महान्।।


Saturday 23 June 2018

सरकारी स्कूल ( राधा तिवारी " राधेगोपाल " )




सरकारी स्कूल
Image result for सरकारी  स्कूल

अच्छा शिक्षक है वही, जिसे विषय का ज्ञान।

अध्यापक का कीजिए, सबसे ज्यादा मान।।

उस शिक्षक को ही सदा, बच्चे करते याद
जो बच्चों में डालते , हैं पुख्ता बुनियाद ।।

मान और सम्मान तो, सदा चाहते लोग ।
जिसको पाने के लिए, करना पड़ता योग।।

सरकारी स्कूल पर, है मुझको अभिमान।

इसके बच्चों को सदा, मिलता है सम्मान।।

शिक्षक तो होते सदा , हैं समाज के अंग । 

बच्चों से उनको मिले, पढ़ने के सब ढंग।।

सरकारी फरमान से,  शिक्षक हैं हलकान।


शिक्षक को होती सदा, शिष्यों की पहचान।।

Friday 22 June 2018

मेरी कलम (राधा तिवारी "राधेगोपाल ")




मेरी कलम 

करती है मेरी कलम,  जब कोई आगाज।
 भरते हैं तब भाव भी, ऊंची सी परवाज ।।

करती मेरी लेखनी, दुनियाभर पर राज ।
अब तो जागो ओ मनुज, देती है आवाज ।।

देना मत मेरी कलम, कभी किसी को घाव।
 जीवो पर करना दया, रखना सरल सुभाव ।।

मसी लेखनी कर रही, अब विकास की बात ।
नहीं कभी भी किसी को, पहुंचाए आघात।।



दोहे " खुश हो रहा कुम्हार"( राधा तिवारी " राधेगोपाल ")


खुश हो रहा कुम्हार
Image result for कुम्हार
नमन तुम्हे करते सभी, ओ भारत के वीर ।
रक्षा में तैनात हो, सदा आप रणधीर।।

चाहे कितनी कठिन हो, इस जीवन की राह ।
जीवन जीने के लिए, मन में रक्खो चाह।।

रोज पुस्तिका में लिखो, अपने मन की बात ।
तभी समझ में आएगी ,खुद अपनी औकात।।

 तालमेल होता नहीं, सबके भिन्न विचार ।
एक रूप होता नहीं, सबका तो आकार।।

 मात पिता के साथ में, सुख मिलता चहुँ ओर।
 दुख के बादल जब छटें, मन हो जाए विभोर।।

 ईश्वर सबके साथ है ,रखना यह विश्वास।
 जो उनका वर्णन करें, वह बन जाता खास।।

माटी को तो रौंदकर,  खुश हो रहा कुम्हार ।
पीट-पीटकर पात्र को ,देता है आकार।।



Thursday 21 June 2018

योग दिवस पर दोहे (राधा तिवारी " राधेगोपाल ")



योग दिवस पर दोहे 
Yoga day, international yoga day, international yoga day 21 june, june 21, international day of yoga, easy yoga poses, spondylitis, back pain, easy yoga asanas, yoga asanas for spondylitis, lifestyle diseases, spondylitis treatment, home treatment for spondylitis, योगा दिवस, योग दिवस
योग दिवस है विश्व का, मित्रों चैथा आज।
 सभी लोग को कर रहे, इसको बना रिवाज।।

 जिससे सारे दुख घटे ,सुख का होता योग।
 वह पल है आनंद का, जिसमें रहे निरोग।।

योग साधना कर रहा,  सारा हिंदुस्तान।
 योगी संतो से बनी, भारत की पहचान।।

 धन दौलत के मोह में, मत पड़ना इंसान ।
 अपना तन ही साथ दें ,व्यर्थ शेष तू जान।।

 साफ नहीं अपनी ध्रा, स्वच्छ नहीं परिवेश।
 ऐसे में कैसे मिले जीवन का संदेश।।

सुख की चाहत हो अगर  ,करो नियम से  योÛ।।
 निंदिया है जिसने तजी, रहता वही निरोग।। 


ग़ज़ल "मेरे प्रियतम" ( राधा तिवारी " राधेगोपाल " )


मेरे प्रियतम

मुसाफिर हूँ  मैं अदना सा, मेरी मंजिल तुम्हें पाना ।
राह कितनी भी टेढी हो, कभी बनना न बेगाना।।

 राह फूलों भरी तो मिल नहीं सकती यहाँ सब को।
 कठिन राहों में कर लेना सदा ही याद उस रब को ।।
परेशानी का इस जग में नहीं होता है पैमाना ।
राह कितने भी टेढ़ी हो कभी बनना न  बेगाना।।

 तेरे संग प्यार की डोरी से बंध जाऊँ मेरे प्रियतम।
 हमारा प्यार आपस में नहीं होगा कभी भी कम।।
 कभी राधे बुलाए तो जरूरी है तुम्हें आना।
 राह कितनी भी टेढ़ी हो कभी बनना न बेगाना

Wednesday 20 June 2018

दोहे " चंचल विहग" (राधातिवारी "राधेगोपाल")

चंचल विहग
डोल रहा चंचल विहग, ढूँढ रहा है छाँव ।
बैठ पेड़ की डाल पर, कौवे करते काँव।।

उड़ता पंख पसार कर, आसमान में बाज ।
लगता है मिल जायगा, उसको ईश्वर आज।।

नील गगन में उड़ रहा, खग होकर बेचैन।
रहता सुख की खोज में, वह पंछी दिन रैन।।

मन मेरा पुलकित हुआ, देख फूल के बागl
तितली भवरें भी करें, फूलों से अनुरागll

जीव जंतु आहत हुए, ताक रहे आकाश।
नजर ना आता जल कहीं, मनवा हुआ उदास।।

सूखे अपने खेत है, सूखे हैं मैदान।
बारिश को है तरसता, पूरा हिंदुस्तान।।

नदी सूख कर बन गए, उसमें छोटे ताल।
जल बिन जीवन सभी का, हो जाता विकराल।।

Tuesday 19 June 2018

दोहे" रावण की ससुराल" जोधपुर (राजस्थान) राधा तिवारी " राधेगोपाल"



 रावण की ससुराल
जोधपुर (राजस्थान)

Image result for mandore garden jodhpur

चलो चले हम घूमने ,अपने राजस्थान ।
जहाँ महल राजाओं के, कितने आलीशान ।।

नगर जोधपुर में विकट ,बाग सजा मंडोर।
 रावण की ससुराल भी, करती भाव विभोर ।।

पूजित होते हैं यहाँ राम भक्त हनुमान।
 राजस्थानी लोग तो ,होते भक्त महान ।।

राधे की पहचान है, प्यारा राजस्थान ।
वीर जन्मते हैं यहाँ ,करने को उत्थान।।

 शहर जोधपुर में बना, है उमेद का धाम।
 इसी जगह से जुड़ा है ,राधे  का भी नाम।।








Monday 18 June 2018

दोहे "राधे का अरमान" (राधातिवारी "राधेगोपाल")

साड़ी सुन्दर दीजिए ,पत्नी को उपहार।
बदले में उससे मिले, उनका प्यार अपार।।

खीरे मूली आ गए, करने बहुत धमाल।
सबजी में सबसे अधिक, बिकें टमाटर लाल।।

माना आलू प्याज से, भरा हुआ बाजार।
लेकिन कच्चे आम का, खाते सभी अचार।।

हरी मिर्च धनिया हरा, इमली को लो साथ।
चटनी तभी बनाइये, जब खाली हो हाथ।।

गंगा फल चाहे कहो, लेकिन कद्दू नाम।
कच्चा-पक्का हर समय, आ जाता है काम।।

समझ करेले को दवा, खा लो आंखें मीच।
तन से ये इंसान के, मधुमेह ले खींच।।

छोटी सी दूकान पर, मिलता सभी सामान।

लोगों को ठगना नहीं, राधे का अरमान।।