Saturday 28 March 2020

कुण्डलियाँ ," चूड़ी " (राधा तिवारी " राधेगोपाल " ),

चूड़ी 

चूड़ी खनकी हाथ में, पायल छनके पाँव।
इठलाती अब आ रही, सजनी अपने गाँव।।
सजनी अपने गाँव,  मिलेगी सखियाँ सारी।
 हरियाली चहुँ ओर, यहाँ पर है मनुहारी।
कह राधेगोपाल, सभी खाते हैं पूड़ी।
नारी के तो हाथ, सजी है हरदम चूड़ी।

कुण्डलियाँ ," कजरा " (राधा तिवारी " राधेगोपाल " ),

 कजरा 
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कजरा नैनों से कहे, सुन लो मेरी बात।
 दो नैनों की है मिली, मुझको भी सौगात।।
 मुझको भी सौगात, कहे सब मुझको काला।
 देती मेरा साथ, सदा ही बिंदी माला।
कह राधे गोपाल, लगा चोटी में गजरा।
 सुन लो मेरी बात, कहे नैनों से कजरा।।

Friday 27 March 2020

कुण्डलियाँ " बिंदी " (राधा तिवारी " राधेगोपाल " ),

बिंदी
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बिंदी से शोभा बढे, नारी की भरपूर।
 नथनी कहती झूम के, मत जाओ तुम दूर।।
 मत जाओ तुम दूर, सजन से कहती सजनी।
 रहना हरदम पास ,दिवस हो चाहे रजनी।
 कह राधे गोपाल, पहाड़ी हो या सिंधी।
 चमक रही है भाल,सभी नारी के बिंदी।

Thursday 26 March 2020

कुण्डलियाँ " माँ -बेटी " (राधा तिवारी " राधेगोपाल " ),

विधा-मुक्त छंद

 माँ -बेटी के साथ में,करती हँस के बात।
बेटी को वो दे रही,जीवन की सौगात।।
जीवन की सौगात, ज़िन्दगी होती भारी।
पर बिटिया  तो लगती हर माता को प्यारी।
कह राधे गोपाल,गोद में माँ के लेटी
हँस कर करती बात , सदा ही माँ अरू बेटी 

: माँ -बेटी के साथ में,करती हँस के बात।
शीत मगर है दे रही, बेटी को आघात।
 बेटी को आघात, मिली  कैसी लाचारी।
 निर्धन सेके ताप, बचाए बिटिया प्यारी।।
कह राधे गोपाल, पिता के सर है पेटी
आग जलाकर खेल ,रही निर्धन की बेटी।


Wednesday 25 March 2020

कुण्डलियाँ , " कुंडलीयाँ " (राधा तिवारी " राधेगोपाल " ),

 कुमकुम
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 कुमकुम भर के माँग में, नार करे श्रृंगार ।
फेरे लेकर सात वो, आती पिय के द्वार।
 आती पिय के द्वार, विदाई करती माता।
 वर जी आए द्वार, बदलता भाई छाता।।
 कह राधे गोपाल, पिता जी क्यों है गुमसुम।
 नारी का श्रृंगार, सदा से ही है कुमकुम।


Tuesday 24 March 2020

कुण्डलियाँ , " काजल " (राधा तिवारी " राधेगोपाल " ),


काजल (3)
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काजल आँखों पर लगा, नैन रही मटकाय।
देख सजन को सामने, गोरी भी इठलाय।।
 गोरी भी इठलाय, झुका वो नैना बोले।
  मुस्काती वो आय, सजन सम्मुख वो डोले।
 कह राधे गोपाल, सजन को देखे हरपल।
 नैन रही मटकाय, लगाकर वो तो काजल।।


कुण्डलियाँ , " गजरा " (राधा तिवारी " राधेगोपाल " ),


गजरा 
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लेके गजरा हाथ में, साजन जी मुस्काय।
 सजनी जी के बाल पे, पिन से वो अटकाय।।
पिन से वो अटकाय, करे वो बातें मन की।
 सोनी सी हो नार,अरे मेरे जीवन की।
 कह राधे गोपाल, लुभाओ कजरा देके।
 जाओ साजन धाम, सदा तुम गजरा लेके।।

Thursday 19 March 2020

मनहरण घनाक्षरी ," राधा " (राधा तिवारी " राधेगोपाल " ),

 राधा
राधा आज मुसकाई
सखियों के साथ आई
कान्हा जी की मुरली को
आज तो छिपाएंगे

आज हम छिप कर
कृष्ण से लिपटकर 
दही नवनीत से ही 
उनको भिगाएंगे 

होली का त्योहार आज 
रख दूर सब काज  
मिलकर हम सब 
कृष्ण को सताएंगे 

मोहन है चित चोर 
बांधकर प्रीत डोर 
आज हमें छलिया को 
छलते ही जाएंगे 

ये रूठने मनाने का 
ये पनघट आने का
हमको सताने का तो
पाठ भी पढ़ाएंगे

Wednesday 18 March 2020

चौपाई छन्द ," होली " (राधा तिवारी " राधेगोपाल " ),

विषय - होली
विधा - चौपाई छन्द

छुप छुप करके मोहन आए
जल भर गगरी वह छलकाए
बढ़चढ़ ग्वाले हिस्सा लीनी 
गोपी को भी वो रंग दीनी

सखियाँ लाई सुंदर माला
गले राधिका के है डाला
बरसाने की सब नर नारी
रंगभरी लाए पिचकारी

नटखट राधा पनघट आई
पायलिया छम छम छमकाई
मुड़ मुड़ कर के श्याम निहारे
पर हर दम ही वो तो हारे 

सब कहते राधा है भोली
सदा बोलती मीठी बोली
जब से वह मोहन की हो ली
होली खेले बन हमजोली

Tuesday 17 March 2020

गीत , " राधा मोहन " (राधा तिवारी " राधेगोपाल " ),

राधा मोहन
 बरसाने मे होली खेलें, 
राधा मोहन संग
देख रंगदी लाल चुनरिया,
बिगरे सिगरे अंग
देखे सबको नैन नचाए,
रही गोपीयाँ दंग
भई राधिका गोरी फिर भी,
 मोहन भये भुजंग
भर पिचकारी मोहन मारी, 
राधा जी पर रंग
भिगा रहे हैं उसकी चोली, 
करते उसको तंग
बजा रहे ढोली मिलकर के, 
ढोलक और मृदंग
मोहन की तो बंसी बाजे, 
बजे साथ में चंग

Monday 16 March 2020

मनहरण घनाक्षरी , " परीक्षा* " (राधा तिवारी " राधेगोपाल " ),

विषय - *परीक्षा*
🌷 छन्द - मनहरण घनाक्षरी 
साल भर पढ़कर
कभी ना नकल कर
परीक्षा में बैठ कर
आप लिख लीजिए

प्रश्न को समझ लेना
कागज पे लिख देना
आता है पहले उसे
आप कर दीजिए

पढ़ता रहा था रोज
नित नई खोज खोज
विष को मधु के जैसा
समझ के पीजिए 

पढ़ाते हैं जो विषय
समझाते हैं आशय
 शिक्षकों को देख देख
 आप मत खीजिए

Sunday 15 March 2020

चौपाई छन्द , "सागर " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ),

विषय - सागर
विधा - चौपाई छन्द
सागर होता कितना गहरा
लगा नहीं सकते हैं पहरा
जीव जंतु इसमें रहते हैं
गर्मी शीत सभी सहते हैं||

चलो देखते हैं परछाई
मम्मी आई ताई आई
पानी इसका कभी न ठहरा 
लगा नहीं सकते हैं पहरा।।2।।

ज्यों जल बिन है मीन पियासी
त्यों मोहन बिन हैं बृजवासी
तरा सदा अंधा अरु बहरा
लगा नहीं सकते हैं पहरा।।3।।

ज्यों राधा बिन रहे साँवरा
भटके बनकर सदा बाँवरा।।
सागर होता कितना गहरा
लगा नहीं है इस पर मुहरा।।4।।

सागर में लहरों को पाया
मछुआरे ने जाल बिछाया 
सुबह सवेरे छाया कुहरा
सागर होता कितना गहरा।।5।।

Saturday 14 March 2020

चौपाई छन्द , " अभिलाषा " (राधा तिवारी " राधेगोपाल " ),

विषय - अभिलाषा
विधा - चौपाई छन्द

समझ रहे हैं सब की भाषा।
तुम समझो मेरी अभिलाषा।
समय कभी भी नहीं गवाँओ।
नेह सभी का जग में पाओ।।1।।

रात दिवस कहती है राधा।
कृष्ण हरो तुम मेरी बाधा।
मत तुम हमको कभी सताना।
रूठ गई तो हमें मनाना।।2।।

पास हमारे मोहन आओ।
पनघट तक मुझको पहुँचाओ।
पूरी कर राधा की आशा।
मत देना तुम कभी निराशा।।3।।

गूँज रही है कोयल काली।
खिले फूल अब डाली डाली।
बंसी की धुन अभी बजाओ।
गोपी ग्वाले पास बुलाओ।।4।।

 तुमको गोपी सदा बुलाती।
हाँडी भर नवनीत खिलाती।
अब तो समझो सब की भाषा।
 राधे की है ये अभिलाषा।।5।।

Friday 13 March 2020

चौपाई छंद ," भोर " (राधा तिवारी " राधेगोपाल " ),

 विषय भोर
 विधा चौपाई छंद
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 भोर भई पनघट पर जाओ
 जल में गगरी सदा डुबाओ
 अधजल गगरी छलकत जाती
 गोरी आधी घर पहुँचाती
सखियाँ करती हँसी ठिठोली
खेल रही बनकर हमजोली
 देखो नाच रही है राधा
 खुश होकर दुख होता आधा

 सूर्य देवता भी आते हैं
 सबको ही तो वो भाते हैं
 काम समय पर जो है करते
 उनके दुख भी भगवन हरते

 गगरी भर कर घर को जाती
 दिनभर वो पनघट पर आती
 कठिन गाँव का जीना इतना
 तुम बतलादो होता कितना 

अब तो जल भी घर घर आया 
पढ़ना लिखना सबको भाया
 शोर करे मिल चिड़िया सारी
 भोर हुई जागो नर नारी

Thursday 12 March 2020

चौपाई छंद, "सरस्वती वंदना" (राधा तिवारी ,राधेगोपाल )

विषय  सरस्वती वंदना
 विधा  चौपाई छंद
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आज बसंत दिवस है आया
 बाग फूल बूटा इतराया
 तितली ने भी पँख फैलाए 
काले भँवरे भी उड़ आए

सूरज जब नभ में आएंगे 
धरा  पे किरणें बिखराएंगे
होगी चारों ओर खुशाली
 फूल तोड़ने आए माली

 सरस्वती की करो वंदना 
महकेगा सबका घर अँगना
 माता जी का ध्यान करेंगे।
उनके दुखड़े सदा हरेंगे

तुम स्वर की देवी कहलाती
 बजा के वीणा हमें सुनाती
 ज्ञान जिसे भी है मिल जाता 
वह फिर कभी नहीं गिर पाता

 धन्य धन्य हो मातु शारदे
 अज्ञानता से हमें तार दे
 राधे जपती नाम तुम्हारा
 तुम दे देना सदा सहारा












Wednesday 11 March 2020

छंद, " नारी "( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )


विधा- छंद
विषय- नारी 
नारी आज करती है,
जगत के काम सभी ।
नौकरी वो करती है,
रख स्वाभिमान को।

बेटियों को विदा करें,
पाल पोस बड़ा करे।
सौंपती है वर जी को,
कर कन्यादान कों।

बड़ों की वो करे सेवा,
पूजा से लुभाती देवा।
कर अच्छे काम को तो,
 पाती वरदान वो।

 अतिथि को मान देती,
दुख पहचान लेती।
चढ़ती है ऐसे नित ,
कितने सोपान वो।