भगवत गीता ने दिया, जन्म-मृत्यु का ज्ञान।
उत्तम करनी कर चलो, फल
देंगे भगवान।।
गीता पढ़ना ध्यान से, रोज
सुबह औ शाम।
कर्म अगर निष्काम हों, बन जायें सब
काम।।
श्लोक सात सौ निहित हैं, अट्ठारह
अध्याय।
भक्ति भाव से कीजिए, तुम इनका स्वाध्याय ।।
भरा हुआ जिसमें सदा, ज्ञान
रुप भंडार।
इसका वाचन नित करो, होंगे
भव से पार।।
गीता का गायन करो, छोड़ शास्त्र विस्तार।
गीता की महिमा सदा, जग में अपरंपार।।
धन-दौलत मद मोह से, रहना
सदा विरक्त।
माया के अभिमान में, मत रहना
अनुरक्त।।
दिया पार्थ को कृष्म ने, गीता का
उपदेश।
ज्ञान भक्ति के योग से, मिट जातो हैं क्लेश।।
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Thursday 22 March 2018
दोहे "फल देंगे भगवान" (राधा तिवारी)
Monday 12 March 2018
गीतिका "धरती का श्रृंगार" (राधा तिवारी)
नई नवेली दुल्हन जैसा यह प्यारा
संसार है
हँसी-ठिठोली
इसमें देखी हमको इससे प्यार है
आंचल में फुलवारी लेकर आई बसंत बहार
है
नई नवेली दुल्हन जैसा ही प्यारा
संसार है
पग-पग घुंघरू जैसे झरने सदा करे
झंकार हैं
पर्वत जैसा मुकुट शीश पर धरती का
श्रृंगार है
भीनी भीनी गन्ध धरा की रहती इसके
कण-कण में
निर्मल पावन नीर गंग का करता सबसे
करता प्यार है
नवयौवन सूरज ले आता जड़-जंगल
मैदानों में
भाँति-भाँति के रंग दिखाती राधे की
मनुहार है
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Thursday 8 March 2018
दोहे "नारी के नव रूप" (राधा तिवारी)
साहस से अपनी चले, राधा सीधी चाल l
सागर की लहरें सदा, लाती है भूचाल ll
जीवन के हर क्षेत्र , करती रही कमाल l
लेकिन दुनिया नारि पर, करती सदा सवाल ll
कदम जो नारी के बढे, दुनिया करे बवाल l
कौशल से वो काटती, जग के सारे जाल ll
कंधे से कंधा मिला , नारी करती काम l
नारी के तो भाग्य
में, नहीं लिखा आराम ll
प्यार और सद्भाव से , भरी हुई हर नार l
नारी ही संसार की , होती सिरजनहार ll
महिलाओं पर हो रहा, प्रतिदिन अत्याचार l
हो करके गंभीर तुम, करना जरा विचार ll
दुर्गा के जैसे
यहां , नारी के नव रूप l
कैसे भी हालात हो, बन जाती अनुरूप ll
नारी के दिल से कभी, करना मत खिलवाड़ l
नर को जीवनक्षेत्र
में, देती नार पछाड़ ll
नारी को देना सदा, कदम-कदम पर मान l
भूले से भी नारि का, करना मत अपमान ll
नारी का होता सदा, सुंदर सरल सुभाव l
नारी का करते रहो, मन से आदर भाव ll
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