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Saturday, 30 June 2018

दोहे "करना मत विश्राम" ( राधा तिवारी " राधेगोपाल ")


दीर्घ आयु के वास्ते, रखना मन में चाह।
जहाँ चाह होती वहाँ, मिल जाती है राह।।

हरा पेड़ मत काटना, कुदरत का सन्देश।
पेड़ों के कारण बने, निर्मल सब परिवेश।।

गिर जाते जब धरा पर, छाया वाले पेड़।
उनको खाने एकदम, आते बकरी-भेड़।।

आ जायें जब भी कभी, मन में बुरे विचार।
तब मन्त्रों का पाठ ही, मन के हरे विकार।।

रखना है अनमोल तन, हमको अगर निरोग।
कामुकता को त्याग कर, छोड़ दीजिए भोग।।

महिलाएँ तो किचन में, करतीं दिन भर काम।
सबको भोजन खिलाकर, करतीं है आराम।।

गर्मी धूप उन्हें लगे, जो करते हैं काम।
बड़े बुजुर्गों ने कहा, करना मत विश्राम।।