Saturday 14 September 2019

बाल कविता, " गुड़िया " (राधा तिवारी " राधेगोपाल " )


गुड़िया
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माँ लाई है प्यारी गुड़िया
 उसको  वस्त्र पहनाऊंगी

 हरे रंग का लहगाँ होगा
 चूनर लाल ओढाउँगी

 खाना खाने बैठूंगी जब
उसके हाथ धुलाउँगी

 रूठेगी जब  प्यारी गुड़िया
 उसको सदा मनाऊंगी

 परेशान गर्मी से होगी
तब उसको नहलाऊंगी

 प्यारी प्यारी मेरी गुड़िया
 को हरदम सह लाऊंगी

Friday 13 September 2019

ग़ज़ल, समंदर का किनारा " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )


समंदर का किनारा 

 मैं समंदर का किनारा देखती हूँ
 जो नहीं करता है वो इशारा देखती हूँ

 छोड़कर मुझको गए थे तुम जिधर
 मैं वहीं  मुड़कर दुबारा देखती हूँ

 खोलकरके मैं झरोखा चांद को हूँ  देखती
चांद के संग तो गगन में मैं सितारा देखती हूँ

 ख्वाब मैं तो रोज ही यू चले आते हो तुम
नींद मेरी नैन मेरे  क्यों ख्याब तेरा देखती हूँ

राधे को विश्वास है अपने प्रभु पर
 आ रहा जो कल हमारा देखती हूँ

Thursday 12 September 2019

कविता , चींटी हमें सिखाती है (राधा तिवारी " राधेगोपाल ")

अपना पथ सुलझाती हैं 
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गिरकर उठना उठकर गिरना चींटी हमें सिखाती है।
 नन्ही मकड़ी देखो हमको बुनना जाल सिखाती है।।

 मछली जल के भीतर रहती फिर भी कितनी प्यासी है।
 नदिया सागर में भी रहकर प्यास नहीं बुझ पाती है ।।

जलधारा की राह कठिन है फिर भी बहती रहती है।
नदियाँ  पर्वत से चलकर के अपना पथ सुलझाती है।।

खुशियां मन में भरी हुई है हंसते दिखते सबके मन।
 राधे देख जगत की हालत फूली नहीं समाती है।।


Wednesday 11 September 2019

कविता , मंगलमय अवसर( राधा तिवारी " राधेगोपाल ")

मंगलमय अवसर

दिल से देती तुम्हें बधाई इस मंगलमय अवसर पर।
 रहो स्वस्थ संपन्न हमेशा अपनों के तुम साथ परस्पर है ।।

नहीं किसी के लिए कलुस्ता रखते कभी नहीं मन में।
 ज्ञान दिया बच्चों को हरदम हंसकर के तुमने जीवन में।।

 वरद हस्त मां सरस्वती का रहा आपके हैं सर पर 
रहो स्वस्थ संपन्न हमेशा अपनों के तुम साथ परस्पर ।।

दुआ दे रहे सब मन से जीवन में हर पल मुस्काओ।
 दुख सारे ही हटते जाएं अच्छा स्वास्थ्य सदा ही पाओ।।

 देव समान सदा पूजित हो आप हमेशा बाहर घर पर।
 रहो स्वस्थ संपन्न हमेशा अपनों के तुम साथ परस्पर।।

Tuesday 10 September 2019

दोहे, वर्षा (राधा तिवारी" राधेगोपाल ")


वर्षा 
बरसात से जमीन पर गिरी धान की फसल, किसानों ने मांगा मुआवजा
कल तक थी वर्षा बनी , फसलों को वरदान 
आज हवा के संग मेंचौपट करती धान।।

खड़ी हुई थी शान सेफसल खेत के बीच 
आकर उसे गिरा गई, बारिश कर के कीच।।

पड़ी फसल को देखकरचेहरे हुए मलीन।
कल जो थे हर्ष में ,आज हुए गमगीन।।

 सोचा था भर जाएंगेघर के अब भंडार।
 पर वर्षा से बह गए ,लोगों के घर द्वार।।







Thursday 5 September 2019

दोहे, " गुरूदेव " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )



 गुरूदेव
शिक्षक के सम्मान तो, करते जो भी शिष्य।
 शिक्षक के आशीष से, बनता सदा भविष्य।।

 शिक्षक को सब दे रहे, जग में हरदम मान।
 जग में रखना तुम सदा, एक अलग पहचान।।

 गुरूदेव के सामने, सदा नवाना शीश।
 गुरु खुश हो कर बाँटते, शिक्षा की आशीष।।

 राधे अपने गुरू पर, करती है अभिमान।
 दिल से करती है सदा, उनका वह सम्मान।।

 बढ़ता देखा शिष्य को, गुरुवर हुए निहाल।
 गुरु जी के आशीष से, करता शिष्य कमाल।।

 उर्जा से हो तुम भरे, रूपवान है देह।
 राधे भी गुणवान हो, देना इतना नेह।।