*आँसू*
आँसू ही बताते यहां मिलना बिछड़ना भी। बेटी की विदाई में ये पिता को सताते हैं । प्यार मनुहार में ये क्रोध अहंकार में ये। पलकों से गिर गिर भेद को छिपाते हैं । आँसू की अनोखी बात चाहे दिन हो या रात । सुख दुख घड़ियों को साथ ही बिताते हैं। हार जीत प्रेम प्रीत दुश्मन और मीत। बिना भेद किए ही ये आँख पे बिठाते हैं। |
Wednesday 17 June 2020
*मनहरण घनाक्षरी* , *आँसू* " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ),
Tuesday 16 June 2020
*मनहरण घनाक्षरी* , श्रमिक " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ),
श्रमिक
आँचल में बाँधे बाल धूप से है मुँह लाल ऐसी माता के राहों में फूल तो बिछाइए श्रम का मिले न दाम नार करती है काम थकी हारी नार को तो दाम तो दिलाइए मजदूरी करती है पेट सब भरती है बेसहारा नार को भी काम पे लगाइए दुखी नहीं होती है ये ईंट ईंट ढोती है ये अबला के जीवन से शूल भी हटाइए |
Monday 15 June 2020
दोहे , बंद करो सब द्वार " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ),
बंद करो सब द्वार
घर में ही सब बैठ कर, कर लो मन की बात। कोरोना को तब चले, पता अपनी औकात।। बोल रही है आज तो,धरती पर मेवाड़। अब मुझको अच्छे लगे, खिड़की और किवाड़।। अपने ही घर में रहो ,बंद करो सब द्वार । अपना ही परिवार है, अपना ही संसार।। मिलती है छुट्टी नहीं, इतनी तो सरकार। परिवार के साथ में, रह लो हर दिन बार।। तन की दूरी ही रखो, मन से रहना पास। कभी तोड़ मत दीजिए, अपनों का विश्वास।। |
Sunday 14 June 2020
दोहा छंद , मैं नारी मर्दानी " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ),
मैं नारी मर्दानी
भेद नहीं करना कभी, अबला सबला बोल।
मैं मर्दानी नार हूँ, मैं तो हूँ अनमोल।।1।।
पूरी होगी कामना, बेटी को दो मान।
नारी ही हरदम बनी, भारत की पहचान।।2।।
घूँघट की अब आेट को, हटा रही है नार।
नभ में भी वो उड़ रही, करती सागर पार।।3।।
लक्ष्मी बाई की तरह, उठा रही शमशीर।
अपने हाथों खुद वही, बना रही तकदीर।।4।।
बदल रही है नार तो,अब अपनी तस्वीर।
देखो तो हर क्षेत्र में, फिरती बनकर वीर।।5।।
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