Monday, 25 June 2018

मन मत करो उदास ( राधा तिवारी " राधेगोपाल ")


 मन मत करो उदास


स्वारथ के संसार में, मन मत करो उदास।
सीधे-सादों का यहाँ, करते सब उपहास।।

जग की सुनकर बात को, होना नहीं निराश ।
योग-साधना जगत में, पूरी करती आस।।

 जिनके मन में चाह हो, बुझती उनकी प्यास।
 लेकिन हरदम कीजिए, साथी का विश्वास।।

गागर में सागर भरे, दोहा सुन्दर भाव।
छोटे-छोटे शब्द ही ,करते दिल पर घाव।।

 कथनी-करनी को सदा, रखना एक समान।
इन दोनों में भिन्नता, लाती है व्यवधान।।

 राधा मीठे बोल से, करते हैं सब प्यार।
कड़वी वाणी से सदा, घट जाता आधार।।

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