मन मत करो उदास
स्वारथ
के संसार में, मन मत
करो उदास।
सीधे-सादों का यहाँ, करते सब उपहास।।
जग की
सुनकर बात को, होना नहीं निराश ।
योग-साधना जगत में, पूरी करती आस।।
जिनके मन में चाह हो, बुझती उनकी प्यास।
लेकिन हरदम कीजिए, साथी का विश्वास।।
गागर में सागर भरे, दोहा सुन्दर भाव।
छोटे-छोटे शब्द ही ,करते दिल पर घाव।।
कथनी-करनी को सदा, रखना एक समान।
इन दोनों में भिन्नता, लाती है व्यवधान।।
राधा मीठे बोल से, करते हैं सब प्यार।
कड़वी
वाणी से सदा, घट जाता आधार।।
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Monday, 25 June 2018
मन मत करो उदास ( राधा तिवारी " राधेगोपाल ")
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