बिना ही साज सज्जा के दिलों से हम सँवरते हैं।।
करोगे याद हमको जब कभी तन्हाई में हमदम।
वो कैसे साथ हो जाए जो हर दम ही बिखरते हैं।।
करेंगे याद तब तुमको कभी जब पास से गुजरो।
तुम्हारी याद आती है गली से जब गुजरते हैं ।।
सुना जब लोग आकर पास में फिर दूर जाते हैं ।
वही टूटे हुए दिल के सभी घावों को भरते हैं।।
हमेशा सोचती राधा चाहूंगी तुम्हें हर पल।
तुम्हारी याद से राधे के तो हर पल में निखरते हैं।।
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Thursday 31 October 2019
गजल, तुम्हारी याद के किस्से " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
Wednesday 30 October 2019
दोहे, साथ निभाती नार " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
जल होता अनमोल है, जल को जीवन जान।।
जीवन के हर राह में ,साथ निभाती नार।
बनकर दुर्गा वो करें, जीवन नैया पार ।।
कूड़ा गाड़ी आ रही, सफल करो अभियान।
जो कूड़ा ले जा रहे ,उनको दो सम्मान ।।
नेकी के हर काम का, करती हूँ आगाज़।
एक भरोसे राम के, लगा रही आवाज़ ।।
दौलत शोहरत से नहीं, होती है पहचान ।
काम सदा ही नेक हो, मन में लो यह जान।।
Tuesday 29 October 2019
दोहे, नगरा गांव " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
स्वच्छ अगर परिवेश हो ,स्वस्थ रहे को जान।।
वर्षा के जल का करो, जीवन में उपयोग ।
गड्ढों में गर जल रहे, पैदा होते रोग।।
थोड़े से बच्चे करें ,उन्नति में सहयोग।
कागज गत्तों से करें, अपने यहां प्रयोग ।।
अस्पताल दिखता यहाँ , सफल है नगरा गांव।
हरे भरे परिवेश की, मिली हमको छावं।।
जल से सींचो पौध को, कर लो तुम व्यायाम ।
पढ़ने के संग खेल का ,है अपना आयाम ।।
वृक्षों से मिलती हमें, ठंडी ठंडी छांव।
मरहम यही लगा रहे, जब घायल हो पाँव ।।
पेड़ कभी ना काटना, मत लेना तुम दाम ।
वरना तो जल जाएगा, तेरा कोमल चाम।।
जल ही तो अनमोल है ,जल में सबकी जान ।
आते हैं जल के बिना, जीवन में व्यवधान।।
जीवन दाता पेड़ है, करते हैं उपकार।
पेड़ मनुज को दे रहे ,कुदरत का उपहार ।।
साफ सफाई में करो, सब अपना सहयोग ।
हरती सब की स्वच्छता, फैल रहे जो रोग।।
Monday 28 October 2019
दोहे, हरियाली " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
पर सबको अच्छे लगें,वह समय अनुकूल।।
जल से जीवन है बना, धरा और आकाश ।
जल करता है सभी की ,जग में पूरी आस।।
गुस्सा करने से सदा, रिश्ते होते तार ।
दो नावों में बैठकर ,कैसे होंगे पार।।
जो करते संसार में, सबके हित के काम।
उनका तो होता अमर, युगों युगों तक नाम।।
श्रद्धा जिनमें हो निहित, वो होते त्योहार।
आपस में करना सदा, प्रेम पूर्ण व्यवहार।।
आपाधापी में लगा , सदियों से संसार ।
प्यार-प्रीत की राह में , आया है व्यापार।।
अपने-अपने गुरू पर, होता सब को नाज ।
गुरु की कृपा हो अगर , सुधरे सकल समाज।।
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