Saturday, 9 June 2018

दोहे " मात -पिता का साथ" (राधातिवारी "राधेगोपाल")



मात -पिता का  साथ


आड़ी-तिरछी हो भले ,चाहे वह हो गोल ।
रोटी माँ के हाथ की ,होती है अनमोल ।।


पछतावा करना पड़े, करो न ऐसे काम ।
मात- पिता के चरण में, होते चारों धाम ।।

केवल बेटों से नहीं, होती घर की शान।
बच्चा चाहे एक हो, लेकिन हो गुणवान।।

मात -पिता के साथ में, रहते सब खुशहाल।
माता को प्यारे लगे, खुद अपने ही लाल।।

होता है संतान पर, मात-पिता को नाज ।
रखना मत मां-बाप से, कोई अपना राज।।

 मात-पिता का चाहिए, सब को आशीर्वाद l

 बच्चों उनसे तुम कभी, करना नहीं विवाद ll



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