मात -पिता का साथ
आड़ी-तिरछी हो भले
,चाहे वह हो गोल ।
रोटी माँ के हाथ की
,होती है अनमोल ।।
पछतावा करना पड़े,
करो न ऐसे काम ।
मात- पिता के चरण
में, होते चारों धाम ।।
केवल बेटों से
नहीं, होती घर की शान।
बच्चा चाहे एक हो,
लेकिन हो गुणवान।।
मात -पिता के साथ
में, रहते सब खुशहाल।
माता को प्यारे
लगे, खुद अपने ही लाल।।
होता है संतान पर, मात-पिता को नाज ।
रखना मत मां-बाप से, कोई अपना राज।।
मात-पिता का चाहिए, सब को आशीर्वाद l
बच्चों उनसे तुम कभी, करना नहीं विवाद
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Saturday, 9 June 2018
दोहे " मात -पिता का साथ" (राधातिवारी "राधेगोपाल")
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