Wednesday, 6 June 2018

दोहे " रखो हाथ में हाथ" (राधातिवारी "राधेगोपाल")




रखो हाथ में हाथ

बिन तेरे ओ साजना, दिन लगता रात।
 किससे  अब कैसे कहूं, अपने मन की बात ।।

तेरे नैनों में दिखे, मुझको सच्चा प्यार ।
तेरी सूरत पर सदा, हो जाती बलिहार।।

नैनों से तुम बोल दो, अपने मन की बात।
 शब्दों से दिल पर बहुत, लगता है आघात।।

अपनों के संग में सदा ,रखो हाथ में हाथ।
 इनका तो होता सदा, जीवन भर का साथ ।।

अकड़ दिखाने से कभी ,नहीं मिलेगा ज्ञान।
 झुक करके  लेना  सदा, हरदम ही सम्मान।।

 जीवन में राधे सदा ,रखना सबसे मेल ।
सुख-दुख हानि-लाभ है, ईश्वर के सब खेल।।

 अपनों के तो बोल से, होते लहूलुहान।
 बाहर वाले तो सदा, देते घाव महान।।



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