अच्छा शिक्षक शिक्षक से करना सदा ,अपने मन की बात । अपने घटिया काम से ,देना मत आघात।।
अंग्रेजी को मान दो, केवल भाषा जान। हिंदी का तो मत करो ,कभी कहीं अपमान ।। पढ़ने से होता सदा ,शब्दों का विस्तार। शब्दकोश बढ़ जाए तो, होता बेड़ा पार।। वक्त सदा हर पाप का, करता है इंसाफ। खुद से ही गर छल किया, फिर कौन करेगा माफ।। कोरोना करने लगा, सबसे ही संग्राम। हाथ पैर धो लीजिए, सब ही सुबहो शाम।। बालक को पीछे बांध नार करती है काम तब उसे शाम को दाम उसे दीजिए मजदूरी करती है पेट सब भरती है बच्चों को तो पालने को काम उसे दीजिए शराबी है घर वाला दाम न कमाने वाला राधा तिवारी"राधेगोपाल" खटीमा उधम सिंह नगर उत्तराखंड 03/05/2020, 5:24 pm - Radhegopal: मंच को नमन 03/05/2020 प्यासा तन मन है प्रभु की लगन है मिला जो जीवन में हँस के बताइए मोह का बंधन है मिला सत्संग है प्रभु की शरण में समय बिताइए सबका जीवन हो जीवन में उमंग हो अपनों का संग हो प्रभु में लगन हो सब ही मगन हो राधा तिवारी"राधेगोपाल" खटीमा उधम सिंह नगर उत्तराखंड 05/05/2020, 4:44 pm - Radhegopal: पितु मातु का सहारा देश का है वह जवान निकला है सीना तान वादा मां से करके कि देश को बचा लूंगा सीमा पर वह था तैनात करता बंदूक से बात वर्दी पहन के सीमा पर मैं जाऊंगा मां के वह चरण छुए पिता से आशीष लेवे युद्ध की भूमि में मामा पीटना दिखाऊंगा देश को बचाने हेतु बना वह सभी का सेतु मैं तो अभी सेना के ही लहू से नहा लूंगा गया था वह घर छोड़ पत्नी से मुंह मोड़ बच्चों को बोला फिर जल्दी ही आऊंगा भारत माता वह लाल था जो सबकी ही डाल खून से तिरंगे में ही लिपट कर वापस घर को आऊंगा विषय *वीभत्स रस* विधा *घनाक्षारी* आया है ये कैसा काल कोरोना का फैला जाल बिछती धरा पे आज कितनी ही लाश है देख रहे गिद्ध आँख रोक रहे हैं वो पाँख शव पे तो चोंच से वो डाल रहे पाश हैं तड़प रहे हैं लोग तंग करता है रोग उपचार इसका ही बन जाए काश है सूरा की बोतल खाली नोट सभी आए जाली हाथों में भी रह गए फटे हुए ताश हैं *राधा तिवारी"राधेगोपाल"* *खटीमा* *उधम सिंह नगर* *उत्तराखंड* 08/05/2020, 4:58 pm - Radhegopal: गुरुओं को ईश जान देना उन्हें आप मान वो ही तो धरा पे हमें राह दिखला रहे ज्ञान के प्रकाश से करते विकास वे गुरुजी तो नित नई बात सिखला रहे बतला रहे *राधा तिवारी"राधेगोपाल"* *खटीमा* *उधम सिंह नगर* *उत्तराखंड* 08/05/2020, 5:12 pm - Radhegopal: मंच को नमन 02/04/2020 विधा *डमरु घनाक्षरी* विषय *भजन* मटक मटक कर, पनघट तक चल। अब मत जल भर ,चल अब घर पर।। गटक न जल अब, शरबत मत चख। भजन लगन कर, घर पर रहकर।। छम छम मत कर,चल अब शरहद। मत कर करतब, जग मग सब जन।। रथ पर चढ़कर, नभ तक उड़कर । चल अब घर चल, अब न मचल कर ।। राधा तिवारी"राधेगोपाल" खटीमा उधम सिंह नगर उत्तराखंड 08/05/2020, 5:12 pm - Radhegopal: <Media omitted> 08/05/2020, 5:42 pm - Radhegopal: मनहरण घनाक्षरी कांटो में गुलाब सी मुस्काती जिंदगी तितली को देख देख कली मुस्काती हैं *राधा तिवारी"राधेगोपाल"* *खटीमा* *उधम सिंह नगर* *उत्तराखंड* 08/05/2020, 7:31 pm - Radhegopal: चांद चांद को चकोरी से चकोरी जी को चांद से एक दूजे से तो हमें प्यार होना चाहिए दिन को तो रात से और रात को तो दिन से अंधेरे को उजाले में भी तो होना चाहिए रात का नजारा काहे अरे वह सितारा का है आज आंख मूंदकर घर-घर सोना चाहिए माताजी का प्यार मिले पिता का मनुहार मिले गोदी में ही रहकर हँस रोना चाहिए *राधा तिवारी"राधेगोपाल"* *खटीमा* *उधम सिंह नगर* *उत्तराखंड* 11/05/2020, 8:20 pm - Radhegopal: धीरज को धर कर जोश मन भर कर घर में ही रहकर रोग से ही लड़िए लोगों की है वेदना सरकार की संवेदना चेतना को मन की तो खुद भी जगाइए फर्ज से ना होना दूर काम में ही रहना चूर लोगों को बचाने का तो जतन भी कीजिए *राधा तिवारी"राधेगोपाल"* *खटीमा* *उधम सिंह नगर* *उत्तराखंड* 11/05/2020, 8:35 pm - Radhegopal: कोरोना का रोग भारी आई कैसी महामारी घर में ही रहने को आप समझाइए घर में ही रहते हैं भूख प्यास रहते हैं निर्धन को भी आप रोटी दिलवाइए चौपाट है काम धाम बंद है सारे आयाम जलती है पेट में जो अगन बुझाईए चले रोग कैसा चाल सारा जग है निढाल घर में ही रहकर जिंदगी बचाइए दुश्मन चले चाल जीना तो हुआ मुहाल मजबूरी का न आप फायदा उठाइए *राधा तिवारी"राधेगोपाल"* *खटीमा* *उधम सिंह नगर* *उत्तराखंड* 11/05/2020, 9:01 pm - Radhegopal: घर में ना उठे धुँआ खाने का तो क्या है हुआ कैसा अब तो यहाँ जगत का हाल है बंद स्कूल हुए हाथ को ना हाथ छुए दूर सभी रहते हैं आया कैसा काल है शोर ना शराबा कहीं खेल ना तमाशा कहीं घर में ही आज तो सोया हर लाल है जीव सब घर बंद जंतु खुले में घूमे आज के तो दौरे की बदली क्यों चाल है |
Sunday, 11 October 2020
दोहे अच्छा शिक्षक (राधा तिवारी "राधेगोपाल ")
Sunday, 5 July 2020
दोहे , जीवन की पतवार" ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ),
डरे डरे से हैं सभी, सकल विश्व के लोग।।
राधे लो संकल्प को, रह लेना निज धाम।
रोग बड़ा गंभीर है, कोरोना है नाम।।
चूक अगर थोड़ी हुई , फैलेगा यह रोग।
हाथ मिलाना छोड़ दो, दूर रहो सब लोग।।
हाथ जोड़कर कीजिए, सबका ही सत्कार।
कोरोना करता नहीं ,इन पर कभी प्रहार ।।
साफ सफाई का रखो,, राधे हरदम ध्यान ।
हाथ मिलाने से करे ,कोरोना नुकसान ।।
हाथ सौंप दो ईश के, जीवन की पतवार।
आसानी से राधिका, हो जाओगे पार।।
डरो नहीं इस रोग से, हो जाओ तैयार।
रहो अकेले शान से, होगा इस पर वार ।।
घर पर ही सब बैठ कर, ले लो हरि का नाम ।
राधे ने सबको दिया, एक यही पैगाम ।।
घर में रहने से नहीं, लगता कोई पाप।
इससे तो घटता सदा, कोरोना का ताप ।।
करना है गर आपको, कोरोना को चूर।
कुछ दिन तो रहे लीजिए, अपनों से तुम दूर ।।
कोरोना के नाम से, आया कैसा रोग।
माता तुम भी ध्यान दो, डरते सारे लोग।।
गाँव घरों को आ रहे, हैं विदेश से लोग।
फिर क्यों अपने देश में ,रहे विदेशी रोग।।
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Wednesday, 17 June 2020
*मनहरण घनाक्षरी* , *आँसू* " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ),
*आँसू*
आँसू ही बताते यहां मिलना बिछड़ना भी। बेटी की विदाई में ये पिता को सताते हैं । प्यार मनुहार में ये क्रोध अहंकार में ये। पलकों से गिर गिर भेद को छिपाते हैं । आँसू की अनोखी बात चाहे दिन हो या रात । सुख दुख घड़ियों को साथ ही बिताते हैं। हार जीत प्रेम प्रीत दुश्मन और मीत। बिना भेद किए ही ये आँख पे बिठाते हैं। |
Tuesday, 16 June 2020
*मनहरण घनाक्षरी* , श्रमिक " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ),
श्रमिक
आँचल में बाँधे बाल धूप से है मुँह लाल ऐसी माता के राहों में फूल तो बिछाइए श्रम का मिले न दाम नार करती है काम थकी हारी नार को तो दाम तो दिलाइए मजदूरी करती है पेट सब भरती है बेसहारा नार को भी काम पे लगाइए दुखी नहीं होती है ये ईंट ईंट ढोती है ये अबला के जीवन से शूल भी हटाइए |
Monday, 15 June 2020
दोहे , बंद करो सब द्वार " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ),
बंद करो सब द्वार
घर में ही सब बैठ कर, कर लो मन की बात। कोरोना को तब चले, पता अपनी औकात।। बोल रही है आज तो,धरती पर मेवाड़। अब मुझको अच्छे लगे, खिड़की और किवाड़।। अपने ही घर में रहो ,बंद करो सब द्वार । अपना ही परिवार है, अपना ही संसार।। मिलती है छुट्टी नहीं, इतनी तो सरकार। परिवार के साथ में, रह लो हर दिन बार।। तन की दूरी ही रखो, मन से रहना पास। कभी तोड़ मत दीजिए, अपनों का विश्वास।। |
Sunday, 14 June 2020
दोहा छंद , मैं नारी मर्दानी " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ),
मैं नारी मर्दानी
भेद नहीं करना कभी, अबला सबला बोल।
मैं मर्दानी नार हूँ, मैं तो हूँ अनमोल।।1।।
पूरी होगी कामना, बेटी को दो मान।
नारी ही हरदम बनी, भारत की पहचान।।2।।
घूँघट की अब आेट को, हटा रही है नार।
नभ में भी वो उड़ रही, करती सागर पार।।3।।
लक्ष्मी बाई की तरह, उठा रही शमशीर।
अपने हाथों खुद वही, बना रही तकदीर।।4।।
बदल रही है नार तो,अब अपनी तस्वीर।
देखो तो हर क्षेत्र में, फिरती बनकर वीर।।5।।
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Sunday, 31 May 2020
दोहे ,संकल्प " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ),
संकल्प
राधे लो संकल्प को, रह
लेना निज धाम।
रोग बड़ा गंभीर है, कोरोना
है नाम।।
चूक अगर थोड़ी हुई , फैलेगा
यह रोग।
हाथ मिलाना छोड़ दो, दूर
रहो सब लोग।।
हाथ जोड़कर कीजिए, सबका
ही सत्कार।
कोरोना करता नहीं ,इन
पर कभी प्रहार ।।
साफ सफाई का रखो,, राधे
हरदम ध्यान ।
हाथ मिलाने से करे ,कोरोना
नुकसान ।।
हाथ सौंप दो ईश के, जीवन
की पतवार।
आसानी से राधिका, हो
जाओगे पार।।
डरो नहीं इस रोग से, हो
जाओ तैयार।
रहो अकेले शान से, होगा
इस पर वार ।।
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