इंसानों के साथ रह, होते नहीं उदास।।
शोर मचाते वे अधिक, जिन्हें नहीं है ज्ञान।
समझो यातायात का, पूरा तुम विज्ञान।।
खामोशी से जी रहे, संत और गुणवान।
लेकिन कष्ट उठा रहे, अज्ञानी नादान ।।
शीत ऋतु में दे रहा, सूरज सबको ताप।
गर्मी में वो ही किरण, झुलसाती है गात।।
अपनों के संग बैठ के, कर लो मन की बात।
बातों-बातों में कभी, मत देना आघात ।।
खेल-खेल में मित्र से, कभी न करना बैर।
पूरी दुनिया मीत है, समझ न उसको गैर ।।
खुशहाली गर चाहिए, रहो न मद में चूर।
उन्हें न कोई चाहता, जो रहते मगरुर।।
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Saturday 15 December 2018
दोहे " इंसानों सेआस "( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
Friday 14 December 2018
दोहे " साइकिल से ट्रक बोलता "( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
साइकिल से ट्रक बोलता
साइकिल से ट्रक बोलता, मैं हूँ बड़ा महान्।
मुझसे बचकर ही रहो, ओ छोटी नादान।।
जब मैं हौरन दूँ तुझे, तेज न करना चाल।
टकराना मुझसे नहीं, कर दूँ गा बेहाल ।।
होना मत भयभीत तुम, रखना अच्छी सोच ।
बचकर चलना तुम सदा, आए नहीं खरोच।।
देता हूँ मैं सड़क पर, हर वाहन को मान ।
कोशिश है मेरी यही ,बचे सभी की जान।।
उबड़ खाबड़ सड़क को, करता हूँ मैं पार।
ढोने को सामान को, रहता हूँ तैयार।।
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Thursday 13 December 2018
दोहे, " कैसे तोड़े फूल "( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
अंधियारे में कठिन है, गिनना अपने दाम ।।
कैसे देखें बाग को, कैसे तोड़े फूल।
अंधियारे में हाथ में, चुभ जाएंगे शूल।।
अंतर कैसे हो भला, कुत्ता लोमड़ सियार।
गलियों में कैसे चले, बना नहीं आधार।।
मोल न होता रंग का, होता है अंधियार ।
सूरज को कैसे लखें ,( देंखे) चंदा से है प्यार।।
भूत पिशाच अगर ना हो, डर नहीं आए पास।
ठगे नहीं कोई कभी, रहे न बाकी आस।।
राधे कहती मत करो, उलटफेर तुम लोग।
दिन में करलो काम को, रात नींद लो भोग।।
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Wednesday 12 December 2018
दोहे " जग के पालनहार"( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
जग के पालनहार
गंगा जी के घाट पर, लगी हुई है भीड़।
गंगा तट पर आ गए, लोग छोड़कर नीड।।
सुहागिनें सब आ रही, करके साज श्रृंगार।
दीप जलाकर कर रही, गंगा से मनुहार।।
जग के तमको जो हरे, सूरज उसका नाम।
सूरज का होता यहाँ ,जीवन देना काम।।
कर को जोड़े हैं खड़े, सब गंगा के तीर।
सभी आचमन कर रहे, पीकर पावन नीर।।
देवों को है पूजते, आज यहाँ पर लोग ।
करते हैं यह कामना, देव हरे सब रोग।।
गन्ने के रस की बना, खीर खा रहे लोग।
चीनी गुड़ का आज तो, मत करना उपयोग ।।
अच्छा बनने के लिए, हो अच्छा व्यवहार।
कभी किसीसे तुम यहाँ , मत करना तकरार।।
ग्वाला बन करके गए, जग के पालनहार।
जीव जंतुओं से यहाँ , करते थे वो प्यार।।
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