Saturday 15 December 2018

दोहे " इंसानों सेआस "( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )



इंसानों सेआस
 पशुओं को होती सदाइंसानों सेआस।
 इंसानों के साथ रहहोते नहीं उदास।।

 शोर मचाते वे अधिकजिन्हें नहीं है ज्ञान।
 समझो यातायात कापूरा तुम विज्ञान।।

 खामोशी से जी रहेसंत और गुणवान।
 लेकिन कष्ट उठा रहेअज्ञानी नादान ।।

शीत ऋतु में दे रहासूरज सबको ताप।
 गर्मी में वो ही किरणझुलसाती है गात।।

 अपनों के संग बैठ केकर लो मन की बात।
 बातों-बातों में कभीमत देना आघात ।।

खेल-खेल में मित्र सेकभी  करना बैर।
 पूरी दुनिया मीत हैसमझ  उसको गैर ।।

खुशहाली गर चाहिएरहो  मद में चूर।
 उन्हें  कोई चाहताजो रहते मगरुर।।




Friday 14 December 2018

दोहे " साइकिल से ट्रक बोलता "( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )


 साइकिल से ट्रक बोलता
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 साइकिल से ट्रक बोलतामैं हूँ  बड़ा महान्।
 मुझसे बचकर ही रहो छोटी नादान।।

 जब मैं हौरन दूँ  तुझेतेज  करना चाल।
 टकराना मुझसे नहींकर दूँ गा बेहाल ।।

होना मत भयभीत तुमरखना अच्छी सोच 
बचकर चलना तुम सदाआए नहीं खरोच।।

 देता हूँ  मैं सड़क परहर वाहन को मान 
कोशिश है मेरी यही ,बचे सभी की जान।।

 उबड़ खाबड़ सड़क कोकरता हूँ  मैं पार।
 ढोने को सामान को, रहता हूँ  तैयार।।



Thursday 13 December 2018

दोहे, " कैसे तोड़े फूल "( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )



 कैसे तोड़े फूल
 सोए अगर दोपहर मेंकरें रात में काम 
अंधियारे में कठिन हैगिनना अपने दाम ।।

कैसे देखें बाग कोकैसे तोड़े फूल।
 अंधियारे में हाथ मेंचुभ जाएंगे शूल।।

 अंतर कैसे हो भलाकुत्ता लोमड़ सियार।
 गलियों में कैसे चलेबना नहीं आधार।।

 मोल  होता रंग काहोता है अंधियार 
सूरज को कैसे लखें ,( देंखे) चंदा से है प्यार।।

 भूत पिशाच अगर ना होडर नहीं आए पास।
 ठगे नहीं कोई कभीरहे  बाकी आस।।

 राधे कहती मत करोउलटफेर तुम लोग।


 दिन में करलो काम कोरात नींद लो भोग।।

Wednesday 12 December 2018

दोहे " जग के पालनहार"( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )



 जग के पालनहार
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 गंगा जी के घाट पर,  लगी हुई है भीड़।
 गंगा तट पर  गएलोग छोड़कर नीड।।

 सुहागिनें सब  रहीकरके साज श्रृंगार।
  दीप जलाकर कर रहीगंगा से मनुहार।।

 जग के तमको जो हरेसूरज उसका नाम।
 सूरज का होता यहाँ ,जीवन देना काम।।

 कर को जोड़े हैं खड़ेसब गंगा के तीर।
 सभी आचमन कर रहेपीकर पावन नीर।।

 देवों को है पूजतेआज यहाँ  पर लोग 
करते हैं यह कामनादेव हरे सब रोग।।

 गन्ने के रस की बनाखीर खा रहे लोग।
 चीनी गुड़ का आज तोमत करना उपयोग ।।

अच्छा बनने के लिएहो अच्छा व्यवहार।
 कभी किसीसे तुम यहाँ , मत करना तकरार।।

 ग्वाला बन करके गएजग के पालनहार।
 जीव जंतुओं से यहाँ , करते थे वो प्यार।।