मेरी माँ
सुबह सवेरे चार बजे,
मेरी माता जग जाती है l
दिन भर कि आपाधापी में,
आराम कहाँ वो पाती है ll
मेरे सारे दुःख दर्द को,
हँस कर गले लगाती है l
थकती होगी पर मेरे,
सम्मुख वो मुस्काती है ll
गोदी में बैठा कर मुझको,
अपना प्यार दिखाती है l
दिन भर कि आपाधापी में,
आराम कहाँ वो पाती है ll
कभी न कहती ठीक नही हूँ,
दुःख को सदा छिपाती है l
मेरे दुःख को अपना कहती,
मन ही मन हर्षाती है ll
मुझको कहती चंदा सूरज,
नैनो में मुझे बसाती है l
दिन भर कि आपाधापी में,
आराम कहाँ वो पाती है ll |
Thursday, 28 June 2018
बाल कविता " मेरी माँ" ( राधा तिवारी " राधेगोपाल ")
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