पेड़ों को तुम काट कर, करना कभी न पाप ।।
सड़क बनाना मत कभी, काट-काटकर खेत।
हरियाली कैसे मिले,
मानव अब तो चेत।।
मिल कर अपनी धरा में,लगा दीजिए वृक्ष।
हरियाली लाते वही, जो होते हैं दक्ष।।
जागों भारतवासियों, भू को दो परिधान।
लहराते ये खेत ही,
है भारत माँ की शान ।।
बंजर रही जमीन तो, होगा पश्चाताप ।
धरती की तो आह ही, दे-देगी संताप ।।
धरती मां की गोद को, क्यों करते हो सून ।
पर्यावरण बचाइए, कहता है कानून ।।
नैसर्गिक सौंदर्य का ,करना हो गर बोध।
वन में जाकर के सदा ,कर लेना तुम शोध।।
राधे इस संसार में, जीवन को मत मार ।
जीवन जीने के लिए, हरियाली आधार।।
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Tuesday, 5 June 2018
दोहे "पर्यावरण दिवस " (राधातिवारी "राधेगोपाल")
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