खुश हो रहा कुम्हार
नमन तुम्हे करते सभी, ओ भारत के वीर ।
रक्षा में तैनात हो, सदा आप रणधीर।।
चाहे कितनी कठिन हो, इस जीवन की राह ।
जीवन जीने के लिए, मन में रक्खो चाह।।
रोज पुस्तिका में लिखो, अपने मन की बात ।
तभी समझ में आएगी ,खुद अपनी औकात।।
तालमेल होता नहीं, सबके भिन्न विचार ।
एक रूप होता नहीं, सबका तो आकार।।
मात पिता के साथ में, सुख मिलता चहुँ ओर।
दुख के बादल जब छटें, मन हो जाए विभोर।।
ईश्वर सबके साथ है ,रखना यह विश्वास।
जो उनका वर्णन करें, वह बन जाता खास।।
माटी को तो रौंदकर, खुश हो रहा कुम्हार ।
पीट-पीटकर पात्र को ,देता है आकार।।
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Friday, 22 June 2018
दोहे " खुश हो रहा कुम्हार"( राधा तिवारी " राधेगोपाल ")
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