Thursday, 7 June 2018

मोल दोहे (राधातिवारी "राधेगोपाल")


 मॉल

लूट रहे हैं आज तो, बड़े शहर के मॉल l
 बिकते महंगे दाम में, घटिया घटिया शॉल ll

 बड़े शहर के मॉल तो, काट रहे हैं जेब  l
मिलती महंगे दाम में , नकली सब पाजेब ll

 कवि लिखता है गीत को, शायर लिखता शेर l
 परिवारीजन देखकर, आंखें रहे तरेर ll



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