ओ मेरे कान्हा
दूज का चांद
दिख जाए मेरा, रमजान हो जाए l
अगर तू
छत पर आ
जाए ,पूरा अरमान हो जाए ll
तेरी जुल्फों
के साए में, मुझे ऐसे
ही रहने दे l
तुम्हारे साथ मुझ
पर भी, खुदा मेहरबान हो जाए ll
तुझे दिल
के झरोखे से
,सनम
हर पल निहारूंगी l
झलक तेरी
जो दिख जाए, तो मन बेईमान हो
जाए ll
जहां में
लोग हैं कितने, जहां सारा
ही अपना है l
तुम्हें जब देख
लूं जानम, सफल
अभियान हो जाए ll
तुम्हारी हूं तुम्हारी
ही रहूंगी , ओ मेरे कान्हा l
बनु में राधिका
ब्रज की, मुझे अभिमान हो जाए ll
|
Tuesday, 26 June 2018
ओ मेरे कान्हा ( राधा तिवारी " राधेगोपाल ")
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment