Saturday 30 March 2019

गीत, "तूफान" ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )


तूफान
Image result for तूफान
अपने ही घर में आज हम मेहमान हो गए
 अपनी ही अंजुमन में अन्जान हो गए

 सिखाई थी सबको नेकिया हमने जहान् में
अब हम उन्हीं के सामने बेईमान हो गए
अपनी ही अंजुमन में अन्जान हो गए

 सुनामी से भी कभी डरे नहीं थे हम तो
हल्का पवन भी आज तो तूफान हो गए
 अपनी ही अंजुमन में अन्जान हो गए

चले गए परिंदे सभी अब ना जाने किधर
 ऊंचे ऊंचे पेड़ भी वीरान हो गए
 अपनी ही अंजुमन में अन्जान हो गए

 धन दौलत से राधे होता ना कोई धनी।
 अपने ही केदार से धनवान हो गए
अपनी जी अंजुमन में अन्जान हो गए




Thursday 28 March 2019

कवित्त, " अभिनंदन " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )


अभिनंदन
Image result for tiranga images
 है दिसंबर साथ देखो कर रहा वीरों का वंदन
 आओ मिलकर हम करें इस धरा का अभिनंदन

 हाथ में हो थाल फूलों से भरा
 भाल पे शोभित रहे हरदम ही तेरे तिलक चंदन
 आओ मिलकर हम करें इस धरा का अभिनंदन

 सैन्यबल से है सुरक्षितआज सीमाएं हमारी
 देखकर उनका ये जीवन ,अंग करते हैं स्पंदन
 आओ मिलकर हम करेंइस धरा का अभिनंदन

सैनिकों ने है संभालीजब से इसकी डोर है
तब से धरती का हर कोनाकरता नहीं है क्रंदन
आओ मिलकर हम करें इस धरा का अभिनंदन

 कह रही राधे बचा लोदेश को अपने लिए
इस धरा पर ही तोपैदा हुए कई हरिनंदन


 मिलकर हम करें इस धरा का अभिनंदन

Tuesday 26 March 2019

दोहे, " मरघट " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )






 मरघट
Image result for marghat
कल तक चाहे था खड़ा , अब सोया इंसान।
जीवन भर अपमान था , मरने पर सम्मान।।

जीवन की तो चाह थीना तन में परिधान 
लेकिन जीने के लिए ,थे बहुत अरमान।।

 मरघट पर जाकर कभीकरना जरा विचार।
 जन्म मरण के फेर मेंहरदम था लाचार।।

जो अपनों की बात का , करते हैं सम्मान।
उनका तो होता नहीं , कहीं कभी अपमान ।।

मीठी वाणी से बनी ,कोयल की पहचान 
मानव मीठे बोल सेपाता है सम्मान ।।

तलवारों के घाव तोभर जाते हैं मित्र 
 कड़वी वाणी से नहींअच्छा बनें चरित्र।।





Monday 25 March 2019

बाल कविता, " मेरा छाता "( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )



बाल कविता
मेरा छाता
Image result for chhata
 रंग बिरंगा मेरा छाता
जो बारिश से मुझे बचाता
 जब घनघोर घटाएं छाती
मेघ गर्जना मुझे डराती
 तब तब मैं ले आती छाता
वर्षा में यह मुझे लुभाता



Sunday 24 March 2019

ग़ज़ल, "दीप " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )




दीप
Related image
दीप नन्हा सा धरा पर जल रहा है 
 उजियार उसमें दो जहां का पल रहा है

 नेकिया सब काम आएंगी तुम्हारी
 बदकिस्मती का दौर देखो चल रहा है

 रिश्ते नातों की जहाँ थी डोर पक्की
 भाई ही भाई को अब तो छल रहा है

झूठ अब तो सिर पे चढ़कर बोलता है
 सत्य अब तो है सभी को खल रहा है

 श्रवण बनकरके रहो तुम इस धरा पर
 याद अब राधे को अपना कल रहा है