मेरे प्रियतम
मुसाफिर हूँ मैं अदना सा, मेरी मंजिल तुम्हें पाना ।
राह कितनी भी टेढी हो, कभी बनना न बेगाना।।
राह फूलों भरी तो मिल नहीं सकती यहाँ सब को।
कठिन राहों में कर लेना सदा ही याद उस रब को ।।
परेशानी का इस जग में नहीं होता है पैमाना ।
राह कितने भी टेढ़ी हो कभी बनना न बेगाना।।
तेरे संग प्यार की डोरी से बंध जाऊँ मेरे प्रियतम।
हमारा प्यार आपस में नहीं होगा कभी भी कम।।
कभी राधे बुलाए तो जरूरी है तुम्हें आना।
राह कितनी भी टेढ़ी हो कभी बनना न बेगाना
|
Showing posts with label ग़ज़ल "मेरे प्रियतम" ( राधा तिवारी " राधेगोपाल " ). Show all posts
Showing posts with label ग़ज़ल "मेरे प्रियतम" ( राधा तिवारी " राधेगोपाल " ). Show all posts
Thursday, 21 June 2018
ग़ज़ल "मेरे प्रियतम" ( राधा तिवारी " राधेगोपाल " )
Subscribe to:
Posts (Atom)