Wednesday 31 July 2019
Tuesday 30 July 2019
दोहे , " तबला ढोलक " (राधा तिवारी " राधेगोपाल " )
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Monday 29 July 2019
दोहे , हरियाली "राधा तिवारी " (राधेगोपाल )
सूखी खेती देखकर ,कृषक हुआ गमगीन।।
वन में दिखते हर जगह, कितने ही सारंग।
कोई चढ़ता पेड़ पर ,कोई करे हुड़दंग ।।
चारदीवारी को कभी ,मत समझो तुम धाम।
परिवार जिसमें रहे, उसका घर है नाम ।।
कितनी हो मजबूरियां, रहना हरदम साथ।
मिलकर के तुम प्यार से ,सदा बटाना हाथ।।
समस्याओं को देखकर, मत होना हलकान।
सहन करो हंसकर सभी, जीवन के व्यवधान।।
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Sunday 28 July 2019
दोहे , वर्षा ऋतु "राधा तिवारी " (राधेगोपाल )
बंद नैन से देखते, खुद को बहुत विशेष।।
धरती पर करते नहीं, जो कोई भी काम।
सपनों में ही वो करें ,अपना ऊंचा नाम।।
स्वप्न सलोने देख के, होना नहीं प्रसन्न।
सपने की फसलें नहीं, दे पाएंगी अन्न।।
आँख खोल करके करो, सपने तुम साकार ।
सपनों में बनता महल, होता है बेकार।।
वर्षा ऋतु में कर रहे,चातक दादुर शोर ।
टर्र टर्र वो कर रहे, दिवस सांझ औ भोर।।
दादुर के तो साथ में ,आते लंबे सांप ।
कलयुग में तो ध्यान से, दुश्मन को लो भांप ।।
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Saturday 27 July 2019
दोहे, " गंगा तट " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
गंगा जी के घाट पर, लगी हुई है भीड़।
गंगा तट पर आ गए, लोग छोड़कर नीड।।
सुहागिनें सब आ रही, करके साज श्रृंगार।
दीप जलाकर कर रही, गंगा से मनुहार।।
जग के तमको जो हरे, सूरज उसका नाम।
सूरज का होता यहाँ ,जीवन देना काम।।
कर को जोड़े हैं खड़े, सब गंगा के तीर।
सभी आचमन कर रहे, पीकर पावन नीर।।
देवों को है पूजते, आज यहाँ पर लोग ।
करते हैं यह कामना, देव हरे सब रोग।।
गन्ने के रस की बना, खीर खा रहे लोग।
चीनी गुड़ का आज तो, मत करना उपयोग ।।
अच्छा बनने के लिए, हो अच्छा व्यवहार।
कभी किसीसे तुम यहाँ , मत करना तकरार।।
ग्वाला बन करके गए, जग के पालनहार।
जीव जंतुओं से यहाँ , करते थे वो प्यार।।
कूड़े में से बिनते, पशु अपना आहार।
चारा देकर ही उन्हें, कर देना उपकार।।
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