तालमेल
अल्फाजों के अंदर से उद्गार आ रहे।।
परिवार मैं तो आज कुछ कमी सी रह गई।
मिलकर रहो सब साथ में विचार आ रहे।
राहें भरी है फूल से ये कौन आ रहा।
लगता यही है आज तो दिलदार आ रहे।
सड़कों पर तो दिखते थे इंसान रात-दिन।
रातों को अब घरों में तो सियार आ रहे ।।
आपस में तालमेल को बनाया आज तक ।
तभी तो करने राधे को वो प्यार आ रहे।।
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