मेरी कलम
करती है मेरी कलम, जब कोई आगाज।
भरते हैं तब भाव भी, ऊंची सी परवाज ।।
करती मेरी लेखनी, दुनियाभर पर राज ।
अब तो जागो ओ मनुज, देती है आवाज ।।
देना मत मेरी कलम, कभी किसी को घाव।
जीवो पर करना दया, रखना सरल सुभाव ।।
मसी लेखनी कर रही, अब विकास की बात ।
नहीं कभी भी किसी को, पहुंचाए आघात।।
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