जीवन का संगीत
चिड़िया बोली
ची-ची-ची।
और पपीहा
पी-पी-पी।।
होता है जब सुखद
सवेरा।
मिट जाता तब सभी
अंधेरा।।
जीवन का संगीत
सुनायें।
चलो काम में हम खो
जायें।।
झूम-झूमकर कहती
डाली।
नहीं रहेगी झोली
खाली।।
महफिल जब विक्रांत
लगेगी।
भीड़ नहीं एकांत
लगेगी।।
आज अगर सुखमय हो
जाए।
दुनिया फिर रोशन हो
जाए।।
साथी बिन महफिल है
कैसी।
उसके बिन मंजिल है
कैसी।।
दीपक की बाती जब
जलती।
तभी रोशनी वह
उगलती।।
एकाकार आज हो
जायें।
सुर में अपने गीत
सुनायें।।
इन आँखों का नूर
तुम्हीं हो।
नारी का सिंदूर
तुम्हीं हो।।
बिन तेरे है मेल
अधूरा।
खेल न होगा तुझ बिन
पूरा।।
दिल जब आकर्षित हो
जाये।
तब उपवन हर्षित हो
जाये।।
राधा की है यही
कामना।
रहे श्याम में
भक्ति भावना।।
दूर-दूर तक नहीं
सवेरा।
बिन तेरे चहुँ ओर
अंधेरा।।
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Friday, 15 June 2018
जीवन का संगीत (राधातिवारी "राधेगोपाल")
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