वीणापाणि है बजाती, ताल लय सुर तान की ।।
लहलहाते खेत में ,झुकती फलों की डालियाँ।
नीर से परिपूर्ण झरने ,शान हिंदुस्तान की।।
वादी- ए- कश्मीर में ही, फूल कितने हैं खिले ।
हाथ में दो सैनिकों के, कमान हिंदुस्तान की ।।
शीश जब झुक जाएंगे ,माता-पिता के सामने।
तब कहेगी देवता, संतान हिंदुस्तान की।।
गाते रहे हैं शान से, हम कुदरती सौंदर्य को ।
राधे कहे शायर सदा ,है जान हिंदुस्तान की।।
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