Monday, 17 September 2018

दोहे "वट पीपल की छाँव" ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ),



तम को हरदम ही हरे, नन्हा माटी दीप l

 अँधियारे में राखिए, दीपक आप समीप ll

 सभी खोजते आज तो, वट पीपल की छाँव l 
 जिनमें शीतल छाँव है, नहीं रहे वो गाँव ll

 रिश्तो में मिलता सदाआदर प्यार-दुलार l
बिना वजह करना नहीं, आपस में तकरार ll

बड़ी मछलियाँ खा रहीं, जल की छोटी मीन l
इसीलिए तो नस्ल सब, होने लगीं विलीन ll

 बेटी को मत समझना, जीवन में ब भा l
 दोनों कुल की है सुता, एक सफल आधारll


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