हिन्दी ने कितने किये, पार यहाँ सोपान।
संस्कृत, पाली-प्राकृत, से पाया सम्मान।।
हिन्दी भाषा को नहीं, मिला अभी सम्मान।
शासन-शिक्षा में नहीं, बनी अभी तक शान।।
आपस में सम्पर्क का, हिन्दी है आधार।
हिन्दी को मन से करो, सभी आज स्वीकार।।
लोकदिखावा कर रहे, हिन्दी का सब आज।
अंग्रेजी को बोलता, अब भी आज समाज।।
हिन्दी है सबसे सरल, कहते सारे लोग।
फिर भी इंग्लिश का लगा, आज भयानक रोग।।
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