श्री कृष्ण भगवान
जन्मे कारागार में, मेरे को गोपाल।
माता उनकी देवकी, वो हैं नंद के लाल।।
असुरों का था वध किया, उसने बालक काल।
रूप अनेको दिख रहे, बन कर के विकराल ।।
मनुज रूप धारण किया, श्री कृष्ण भगवान।
असुरों को हल्कान कर किये मनुज एहसान।।
सिर पर धरकर टोकरा, उसमें रखकर लाल ।
वसुदेव जी जा रहे ,करके तेजी चाल।।
कान्हा तेरा नाम तो, लेता है संसार।
तुझको पाने के लिए, राधा है आधार ।।
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