Wednesday 12 September 2018

दोहे " कारागार "( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ),


कारागार 

जन्मे कारागार में ,बनकर अष्टम पूत।
 कैसे बाहर  गए, दिखते नहीं सबूत।।

रंग तेरा है सावलाचेहरा गोल मटोल 
लट घुंघराले बाल है, तुतले तुतले बोल।।

 लेते हैं कान्हा सदाबाल रूप अवतार 
देती है सब नारियांकान्हा जी को प्यार।।

साथ सखा के खेलतेसभी बाल गोपाल 
अपना बेगाना सदा ,समझे सब की चाल।।

 श्री कृष्ण सब को सदालगते हैं अनमोल।
 छम छम छम छम कर रहेपायल के ये बोल ।।



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