मेरे तो गोपाल
हीरा अपने मोल का, नहीं मचाता शोर।
लेकिन अपनी चमक को, चमकाता चहुओर।।
साथ निभाने के लिए, रखना मन में चाह।
जहाँ चाह होती वहाँ, मिल जाती है राह।।
सच्चाई के मार्ग पर, चलना कदम बढ़ाय।
नेक इरादा हो अगर, मंजिल भी मिल जाय।।
जीवो की आवाज में, बजता है संगीत।
इनकी धुन पर ही बने, कई सलोने गीत।।
दो अखियां में बस गए, मेरे तो गोपाल ।
रूप आपका कर रहा, राधे को बेहाल ।।
राधा रोती है सदा, कान्हा को कर याद।
मन ही मन वो कर रही, मिलने की फरियाद ।।
ग्वालों के
संग बैठकर, कान्हा करते बात।
मोहक छवि को देखकर, खिलता सबका गात।।
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