सेवा से उनकी अपनी क्यों राह मोड़ते हो
प्यार लुटा कर सारा बचपन में जिसने पाला
भूख लगी तो अपने मुहँ का जिसने दिया निवाला
आज खिलाने को उनको क्यों भौहें सिकोड़ते हो
सेवा से उनकी अपनी क्यों राह मोड़ते हो
आराम छोड़ अपना जिसने तुमको आराम दिलाया
दुख सारे ही लेकर तुमको सुख से सदा सुलाया
अब क्यों अपना सुख तुम उनके दुख से मरोड़ते हो
सेवा से उनकी अपना क्यों मुंह मोड़ते हो
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