Sunday 16 September 2018

दोहे " मिट्ठू राम "( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )

मिट्ठू राम 
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 शुकः कहो तोता कहोया फिर मिट्ठू राम 

हर पल ही जपता रहेमन से वह हरि नाम।।

नहीं सुरक्षित अब रही ,बेटी रक्षित आज
बेटों के प्रति हो रहा, अर्पित सकल समाज।।

 सत्कर्म करते नहीं, कभी मनुज को भ्रष्ट।
 दुष्कर्मों से मत करो, समय कभी भी नष्ट ।।

वाणी से होती सदा, इंसान की पहचान
गुरुओं का जग में कभी, करना मत अपमान ।।

घर की सारी खिड़कियां, होती है वरदान।
 धूप-छांव सब दे रही, हरदम यह अविराम।।

 चलने है सद्मार्ग तो, अच्छी रखना सोच
जब सीधा पथ मिले तो, कभी ना आती मोच।।

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