गर तुम्हारी मान ले तो आओ
तुम्हें यह इजाजत है
कभी दिन भर ही सोता है कभी रातों में है जगता
कभी धड़के है रुक रुक कर
बताओ क्या अदावत है
जो आंख से दिखता यह वह नहीं बताता
तुम्हारी बात ही करता
नहीं करता खिलाफत है
कोई राधे का दुनिया में नहीं इंसाफ है करता
कहे राधे की इस दिल से
यही मेरी शिकायत है
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