Saturday, 29 September 2018

ग़ज़ल "राधे ख्यालों में खोने लगी है"( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )

 राधे ख्यालों में खोने लगी है
  मुलाकात उनसे तो होने लगी है
 मोहब्बत की शुरुआत होने लगी है

 ख्वाबों में आते हैं रातों में मेरे
 यही सोच राधे भी सोने लगी है

 पनपेंगे एक दिन मोहब्बत के पौधे
 यही सोच अरमान बोने लगी है

 दुख सुख के साथी बन जाओ मेरे
 सपने सलोने सजोने लगी है

 अश्कों के मोती तुम थाम लेना
 गमों की चदरिया भिगोने लगी है

 खोने की चाहत है फिर दिल में तेरे
 राधे ख्यालों में खोने लगी है



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