Wednesday, 26 September 2018
बाल कविता "धरती "( राधा तिवारी "राधेगोपाल ")
बाल
कविता
"
धरती
"
धरती
में
सब
पेड़
गड़े
हैं
देखो
कैसे
सभी
खड़े
हैं
जैसे
ही
कुल्हाड़ी
आती
शाखाएं
सब
है
घबराती
पत्ते
डरकर
सहमें
रहते
पशुओं
का
चारा
हम
कहते
बनाओ
मुझसे
खिड़की
द्वार
मेरा
मत
करना
व्यापार
मत
काटो
तुम
मुझको
आकर
खुश
हो
जाओ
मुझको
पाकर
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