जहाँ रहो बदनाम तुम, रहो वहाँ
खुशहाल।
देती है श्रद्धांजलि, यह राधे
गोपाल।।
जो अपने उपनाम से. कहलाते बदनाम।
लिखकर अपनी शायरी, हुए
बहुत सरनाम।।
पत्नी-पति के बीच में, बहुत अधिक था प्यार।
दो हफ्तों में जगत से, दोनों गये
सिधार।।
झूठे हैं नाते सभी, सच्चा उसका
न्याय।
प्रभु के आगे किसी का, चलता नहीं
उपाय।।
कहने को दो पुत्र हैं, लेकिन दोनों ढीठ।
कर्मठता के नाम पर, दिखा गये वो
पीठ।।
दिखा नहीं माँ-बाप की, सेवा का
कुछ अंश।
कदम-कदम पर दिये हैं, सन्तानों ने
दंश।।
|
Friday, 3 August 2018
दोहे "गुरू सहाय भटनागर बदनाम को श्रद्धांजलि" (राधा तिवारी" राधेगोपाल ")
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment