Saturday, 4 August 2018

राधा तिवारी "राधेगोपाल " का काव्य पाठ (वन्दना)

राधा तिवारी "राधेगोपाल " का काव्य पाठ
वन्दना

ज्ञान के इन चक्षुओं में 
छा रहा अँधियार भारी।
वन्दना स्वीकार कर लो 
शारदे माता हमारी।।

माँ हमारी लेखनी को
शब्द का उपहार दे दो।
कर सकूँ आराधना मैं,
माँ मुझे अधिकार दे दो।।
चरण रज को चाहती है,
राधिका दासी तुम्हारी।
वन्दना स्वीकार कर लो 
शारदे माता हमारी।।

तान वीणा की सुना दो,
श्रवण में झंकार भर दो।
भाव में अंगार भर दो,
गीत में श्रृंगार भर दो।
साध्य हो आराध्य भी हो,
साधना हो तुम हमारी।। 
वन्दना स्वीकार कर लो 
शारदे माता हमारी।।


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