हिम पर्वतों को तो अब नित ही पिघलना चाहिए ll
देश की सीमा में बढ़कर देश का रखते जो ध्यान l
बनने को ऐसे वीर हम सबको मचलना चाहिए ll
दीन दुर्बल और निर्धन है सभी अपने सखा l
बीमार वृद्ध को देखकर तो दिल दहलना चाहिए ll
बैठना दिन-रात सोना है नहीं अच्छा कभी l
नींद त्यागो जागकर हर पल टहलना चाहिए ll
राधे कहे दिखता हमें यह सब जहाँ तो एक सा l
बढ़ चलो आगे रहो अब युग बदलना चाहिए ll
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