रस राम नाम का
मधुशाला में बैठ बन गए देखो कितने दादा l
कादंबरी को देख पास में भूल गए मर्यादा ll
सुरापान करके समझे हैं अपने को वह तगड़ा l
मारपीट में आगे बढ़कर करते सब से झगड़ा ll
ओ मतवाले सुरा नहीं है देखो कोई अच्छी चीज l
इसको पीकर घरवाली पर नहीं उतारो अपनी खींच ll
धन दौलत को नष्ट करेगी मिट जाएगा यह शरीर l
कैसी सुंदर काया तेरी पल में बिगड़ेगी तस्वीर ll
नशा बुरा है पर अच्छा हो रस राम नाम का तुम पीलो l
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Monday, 13 August 2018
रस राम नाम का,"( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
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