वो कैसा शूल है
जो किसी को चुभ गया वह फूल कैसा फूल है l
फूल के संग जो उगे न तो वो कैसा शूल है ll
नींद को त्यागा कमाया धन वह सब स्वर्ण है l
दूसरों की दौलत सदा अपने लिए निर्मूल है ll
पर नारि को तो देख कर देवी की करना कामना l
उसे फूल दे कर पटाना यह तो तेरी भूल है ll
सागर में गहरे जाकर ही मिलते सदा हैं मोतिया l
पत्थर और कंकड़ चाहिए तो दिख रहा नदी कूल है ll
हिंद में रह कर के भी हिंदी नहीं अपनाई कभी l
संस्कृत उर्दू को संभालो जो हिंदी का ही मूल् है ll
राधे कहे कभी तूफान के जाना नहीं अनुकूल tuम l
उस ओर ही बढ़ते चलो जिस ओर हवा प्रतिकूल हैll
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