वो ही है पहचानते, दुश्मन की सब चाल।।
दोनों हाथों में रखो, तुम पूजा का थाल।
करवा लेना तिलक को, वीरों अपने भाल।।
बुरा बोलने से सदा, अच्छा रहना मौन ।
बोलचाल से ही लगे, जग में अपना कौन।।
सीमाओं पर लग रहे, कितनी माँ के लाल ।
माँ की यह आशीष है, जीवन हो खुशहाल।।
नकली फूलों से सजे ,पूजा के दरबार ।
इसीलिए फीके लगे ,हमको सब त्यौहार।।
माता को प्यारे लगे, सबसे ज्यादा लाल।
राधे करती काम ना मिले सदा गोपाल ।।
जलसे जीवन पा रहे, कदली मछली धान।
बारिश की जल धार से, जीवित रहते पान।।
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