करती सावन मास में ,महिलाएं श्रृंगार।।
झूठ कपट निंदा नहीं, रखना अपने पास।
साजन के तो प्रेम में, रखना तुम विश्वास।।
श्रावण शुक्ला तृतीया, को आता त्योहार।
पति पत्नी का प्रेम ही ,इसका है आधार।।
पूरे विधि-विधान से ,पूजा करना आप।
शिव गौरी के ध्यान से, मिट जाए संताप ।।
भंडारे घर-घर करो, भक्तों को दो भोज।
श्रद्धा से करना सभी ,घर में पूजा रोज ।।
एक साल के बाद में, आती सावन तीज।
दूर करो मन से सभी, आपस की सब खीज।।
शिवलिंग की पूजा करो, मां को दो तुम मान।
हलवा पूरी का करो, लोगों को तुम दान।।
सासू मां को दीजिए, मां के जैसा मान।
उनको दो श्रृंगार का, तुम सारा सामान ।।
आदि देव का ध्यान कर, लड्डूवन का दो भोग।
तन-मन के मिट जाएंगे, तेरे सारे रोग।।
शिव जी और गणेश का, कर लेना तुम ध्यान।
साजन की पूजा करो, शिव जी उनको मान।।
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Monday, 13 August 2018
दोहे "सुहागिनों के है लिए, तीजों का त्योहार" ( राधा तिवारी " राधेगोपाल "),
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