Thursday, 30 August 2018

शीश झुका( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ),

शीश  झुका



 आओ शीश  झुका कर हम सबईश्वर का गुणगान करें 
जिसने सूरज चांद बनाए ,उनका हम सम्मान करें ।।

काली रातों में दे दियाजिसने चमकीले तारों का थाल।
 मात पिता के रूप में आकरसारे जग को लिया संभाल।।

 कौन है अपना कैसे रिश्तेसब की हम पहचान करें 
आओ शीश झुका कर हम सबईश्वर का गुणगान करें ।।

धरा सा कोमल दिया बिछोनाऔर गगन सी चादर प्यारी।
 बादल के संग बरसा दे दीऔर छठा दी न्यारी न्यारी ।।

जो सबका सुख दुख हर लेताआओ उसे प्रणाम करें 
आओ शीश झुका कर हम सब, ईश्वर का गुणगान करें।।

 जो निर्धन को धन देता हैनिर्बल को देता है बल।
किन्तु सदा रहता है जो ,नभ थल में जो सदा अचल।।

 जो याद नहीं करते ईश्वर कोउनका भी वह उत्थान करें।
आओ शीश झुका कर  हम सबईश्वर का गुणगान करें।।

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