जिसने सूरज चांद बनाए ,उनका हम सम्मान करें ।।
काली रातों में दे दिया, जिसने चमकीले तारों का थाल।
मात पिता के रूप में आकर, सारे जग को लिया संभाल।।
कौन है अपना कैसे रिश्ते, सब की हम पहचान करें ।
आओ शीश झुका कर हम सब, ईश्वर का गुणगान करें ।।
धरा सा कोमल दिया बिछोना, और गगन सी चादर प्यारी।
बादल के संग बरसा दे दी, और छठा दी न्यारी न्यारी ।।
जो सबका सुख दुख हर लेता, आओ उसे प्रणाम करें ।
आओ शीश झुका कर हम सब, ईश्वर का गुणगान करें।।
जो निर्धन को धन देता है, निर्बल को देता है बल।
किन्तु सदा रहता है जो ,नभ थल में जो सदा अचल।।
जो याद नहीं करते ईश्वर को, उनका भी वह उत्थान करें।
आओ शीश झुका कर हम सब, ईश्वर का गुणगान करें।।
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