पायल
दुल्हन पिया को देखकर क्यों इतना शर्माती है l
नाक में नथनी कान में कुंडल पहनके क्यों इतराती है ll
साजनजी जब पास बुलाते हौले हौले जाती है l
जब पायल के घुंघरू बजते मन में क्यों इठलाती है ll
चुपचाप हो सुनती बातें जब पिया उसे कुछ कहते हैं l
पर साजन की बात किसी से कभी नहीं बतलाती है ll
प्रियतम से वह बात हमेशा चुपके चुपके करती है l
सखियों को तब देख सामने मन ही मन मुस्काती है ll
पनघट पर जब गगरी लेकर पानी भरने जाती है l
छलक उठे उसकी गागर इतना क्यों बलखाती हैll
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Saturday, 11 August 2018
ग़ज़ल " पायल " (राधा तिवारी" राधेगोपाल ")
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