Wednesday, 29 August 2018

इस शहर में( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )

 इस शहर में
इस शहर में कोई एक रहता है
 कुछ कुछ बातें वह हमसे नेक कहता है

जब भी उदास रहती
मैं याद उसको करती
यादों में उसके जीती
 जी जी के रोज मरती

 दिल  आईना चटकता जब अतिरेक होता  है
 इस शहर में कोई एक रहता है

 करती हूं उसकी बातें
सुबह शाम ही उससे
 रहती हूं खोई-खोई
अपनी व्यथा कहूं मैं किससे

 यादों का पानी में रेत बहता है
 इस शहर में कोई एक रहता है

 बोए है दिल में हमने
अरमां बहुत ही सारे
तुम साथ हो तो लगते
दिलकश सभी नजारे

दिल  उपवन निखरता जैसे खेत रहता है
इस शहर में कोई एक रहता है
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