बिखर जाते हैं
दर्द से सबके चेहरे उतर जाते हैंl
पल क्यों जल्दी ही सुख के गुजर जाते हैं ll
साथ देने लगे अब पराए सभी l
अपने जाने जहां में किधर जाते हैं ll
फूल के पौधे जितना उगा लीजिए l
खिल के सारे के सारे बिखर जाते हैं ll
बोल के घाव जल्दी से भरते नहीं l
जख्म जल्दी ही तन के तो भर जाते हैं ll
नर्म अल्फाज़ ही हरदम राधे रखो l
क्रोध से नूर चेहरे उतर जाते हैं ll
दर्द से सबके चेहरे उतर जाते हैं ll
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