Friday, 10 August 2018

ग़ज़ल "बिखर जाते हैं" (राधा तिवारी" राधेगोपाल ")


बिखर जाते हैं  
Image result for बिखेरे गुलाब के  फूल
र्द से सबके चेहरे उतर जाते हैंl
  क्यों जल्दी ही सुख के गुजर जाते हैं ll
साथ देने लगे अब पराए सभी  l
अपने जाने जहां में किधर जाते हैं ll
 फूल के पौधे जितना उगा लीजिए  l
खिल के सारे के सारे बिखर जाते हैं  ll
बोल के घाव जल्दी से भरते नहीं l
 जख्म जल्दी ही तन के तो भर जाते हैं ll
 नर्म अल्फाज़ ही हरदम राधे रखो l
 क्रोध से नूर चेहरे उतर जाते हैं ll
 दर्द से सबके चेहरे उतर जाते हैं ll

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