आकर के मेघ जाते संताप चढ़ रहा है ll
मेघों को अब तो मयूरा दिन रात है बुलाते l
रट रट के पीहू पीहू रितुराज को लुभाते ll
तपिश इस धरा की बरसात मांगती है l
प्यासी धरा गगन से मुलाकात मांगती है ll
खेतों में काम करते परिवार मिलकर सारे l
बिन बारिशों के हरदम येतो सदा ही हारे ll
घने जंगलों का लेकर के अब तो ये सहारा l
नदिया से नीर लेकर आया गगन ये प्यारा ll
खुशियों की राधे अब तो दिन रात मांगती है l
प्यासी धरा गगन से मुलाकात मांगती है ll
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Monday, 20 August 2018
गीत "बरसात मांगती है "( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
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