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गरम पकौड़ी
जब बाहर वर्षा होती है सब घर में आ जाते हैं l
मां के हाथों की हम सब गरम पकौड़ी खाते हैं ll
चाय गरम हो एक गिलास और चटनी हो चटपट l
खाते समय करते हो बच्चों सदा ही तुम क्यों खटपट ll
मां तुमको देगी उतना जितना तुम खाओगेl
मां के जैसा प्यार धरा पर कभी नहीं पाओगे ll
बच्चे कहते इंद्र देवता रोज यहां पर आना l
स्कूल न जाने का हमको मिल जाए रोज बहाना ll
कभी बनाएंगी अपने हाथों से मां मनभावन खीर l
संग माँ के रह कर के बन जाएगी सबकी तकदीर ll
पर बच्चों पढ लिखकर ही बन पाओगे तुम नवाब l
अनपढ़ रह जाता है जो जीवन उसका हुआ खराब ll
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