Wednesday, 31 October 2018

दोहे "अहोई उपवास" (राधा तिवारी "राधेगोपाल")

बच्चों को होती सदा, अपनी माँ से आस।
करें अहोई अष्ठमी का, मिलकर उपवास।।

करते राधा कुंड में, कई भक्त स्नान।
जिससे मिलती है उन्हें, प्यारी सी संतान।।

पति-पत्नी इसमें करें, मिलकर के स्नान।
पुत्र रत्न का दे रही, राधा जग को दान।।

मात-पिता की बात को, कभी न देना टाल।
उनसे ही परिवार का, रहता अच्छा हाल।।

मात-पिता के सत वचन, सुनना देकर ध्यान।
उनको तो तुम पूजना, जग मे देव समान।।

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