माता वीणावादिनी
नवरात्र में मात के, होते हैं नौ रूप। माता देती वर उन्हें ,उनके ही अनुरूप।। महिमा सीता राम की, कितनी अपरंपार। जो भजता श्री राम को, उसका बेड़ा पार ।। माता वीणावादिनी, दे दो अपना साथ। हे माता रखना सदा, मेरे सिर पर हाथ ।। राम राज्य कब आएगा, सोच रहे हैं लोग। धरती से मिट जाएगा, काम क्रोध और भोग।। दीन दुखी की यहाँ पर, लेना कभी ना हाय। विद्वानों से तुम सदा ,लेते रहना राय ।। पंडालों में हो रही, मां की जय जय कार। पर अपनी मां को कभी, देते नहीं दुलार।। सिंह वाहिनी मात तुम, हरना सब की पीर । उनकी रक्षा कीजिए ,जो बालक प्रणवीर।। गरबा करती नारियां ,माता के दरबार। लगती सारी देवियां, माता का अवतार।। |
Wednesday, 24 October 2018
दोहे "माता वीणावादिनी"( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
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