दुर्गा की पूजा करो
दुर्गा की पूजा करो, कहते हैं नवरात्र।
माता सबकी है गुरु, हम सब उनके छात्र।।
: प्रखर शैली सी है सदा, शैल सुता है नाम ।
बेटी राजा दक्ष की, कनखल जिनका धाम।।
रूप सृष्टि का धारती , ब्रह्मचारिणी नाम।
ज्ञान और वैराग्य ही ,देना इनका काम ।।
मनचाहा फल लीजिए, आकर मां के द्वार।
माता सबसे कर रही, समता का व्यवहार ।।
माँ का नित वंदन करो, धूप जलाओ रोज।
नारिकेल ही है प्रिय, उसे लगाओ भोज।।
अंधे को आंखें मिले, मिले बाँझ को पूत।
माता सब के द्वार पर ,होती है आहूत।।
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Monday, 22 October 2018
दोहे "दुर्गा की पूजा करो"( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
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